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महावीर का अर्थशास्त्र प्रत्येक अतिरिक्तता के साथ भय बराबर बना रहेगा। अधिकतम का सीमाकरण इस अतिरिक्तता के भय को स्वल्प कर देता है । असीम लालसा
असीम में कहीं कोई सीमा नहीं होती । लाख, करोड़, अरब, खरब के आगे भी पाने की लालसा का कहीं अन्त नहीं होता और यह असीम लालसा मनुष्य के मन को अशांत बना देती है, तनाव से भर देती है। सीमाकरण का सूत्र ____ महावीर द्वारा निर्मित समाज सम्पन्न समाज था। वह गरीब और दरिद्र समाज नहीं था पर सीमाकरण के विवेक के समृद्ध था। उस समय कौटुम्बिक व्यवस्था में एक परिवार में सैकड़ों-सैकड़ों लोग होते थे। आनन्द श्रावक का परिवार भी एक ऐसा ही परिवार था। उसने सीमाकरण किया-चार करोड़ स्वर्ण मुद्राएं ब्याज में लगी रहें, चार करोड़ स्वर्ण मुद्राएं निधान (भूमिगत) में रहें। इससे अधिक रखने का उसे त्याग था। इतनी भूमि, इतना भवन, इतना व्रज (गौशाला) रसुंगा । इससे अधिक कुछ नहीं रखूगा । संग्रह की एक निश्चित सीमा बन गई। नियंत्रण के दो सूत्र
महावीर ने कहा-अर्जन का, संग्रह का कोई नियम नहीं बनाया जा सकता, अधिकतम का कोई नियम नहीं बनाया जा सकता। हो सकता है-एक व्यक्ति उससे अधिक सीमा कर ले। महावीर ने अधिकतम को दो ओर से नियंत्रित कर दिया।
पहला नियंत्रण था-अर्जन में साधन-शुद्धि का विचार । दूसरा नियंत्रण था-व्यक्तिगत उपभोग का सीमाकरण ।
महावीर ने उपभोग की एक सूची बना दी। ऐसी सूची, जो आज तक किसी अर्थशास्त्री ने नहीं बनाई। उपासक-दशा सूत्र में दस सूत्र हैं, जिसमें उस समय के दस प्रमुख लोगों का वर्णन है । उसमें दी गई उपभोग सूची का अगर आज अनुपालन हो तो गरीबी की समस्या का अपने आप समाधान हो जाएगा। उस सूची के कुछ सूत्र ये हैं
• वस्त्र-परिमाण • दंतवन-परिमाण
द्रव्य-परिमाण
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