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३. चौदह नियम श्रावक के दैनंदिन व्यावहारिक प्रवृत्तियों के सीमाकरण का एक क्रम प्राचीन काल से चला आ रहा है, जिसमें प्रमुख रूप से चौदह बिन्दुओं का स्पर्श है। ये चौदह बिन्दु चौदह नियम की संज्ञा से अभिहित हैं
१. सचित्त-अन्न, पानी, फल आदि सचित वस्तुओं की सीमा करना। २. द्रव्य-खाने-पीने संबंधी वस्तुओं की सीमा करना । ३. विगय–दूध, दही, घी, तेल, गुड़, मीठा-इन छह विगय के परिभोग
की सीमा करना। पन्नी-जूते, मोजे, खड़ाऊ, चप्पल आदि की सीमा करना । ताम्बूल-पान, सुपारी, इलायची, चूर्ण आदि मुखवास के द्रव्यों की सीमा करना। वस्त्र--पहनने के वस्त्रों की सीमा करना। कुसुम-फूल, इत्र व अन्य सुगंधित वस्तुओं की सीमा करना । वाहन—मोटर, तेल, स्कूटर, रिक्शा आदि वाहनों की सीमा करना ।
शयन-बिछौनों की सीमा करना। १०. विलेपन-केसर, तेल आदि लेप करने वाले पदार्थों की सीमा करना। ११. अब्रवर्य--मैथुन सेवन की सीमा करना।
दिशा-छहों दिशाओं में यातायात व अन्य जो भी प्रवृत्तियां की जाती
हैं, उनकी सीमा करना। १३. स्नान-स्नान व जल की मात्रा की सीमा करना। १४. भक्त-अशन, पान, खादिम, स्वादिम की सीमा करना।
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