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न व्यक्ति न जाति सबके लिए जिसमें अध्यात्म शास्त्र भी है नीतिशास्त्र और समाजशास्त्र भी है राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र भी है प्रश्न है पकड़ने वाली दृष्टि का संकल्पजा सृष्टि का। विस्मति का विलय स्मृति में ग्रन्थ 'भूवलय' एक पत्र में संदब्ध अनगिन भाषा से समृद्ध जिसमें रसियन और जापानी भी है फ्रेंच और जर्मनी भी है कोई भी नहीं है ऐसी लिपि जिसकी न मिले प्रतिलिपि केवल चाहिए वह दृष्टि जो पकड़ सके शब्द-सृष्टि । महाप्रज्ञ का प्रस्तुत सृजन मौलिक प्रतिभा का एक और निदर्शन महावीर की सूत्रात्मा से महाप्रज्ञ का अर्थात्मा का साक्षात् मिलन महावीर की प्रासंगिकता का महाप्रज्ञ की प्रतिभा से सजीव चित्रण जो देता है नया प्रकाश प्रबल आश्वास नया विश्वास।
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