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सार्वभौम अहिंसा केन्द्र में संक्षिप्ततः व्यक्त किया जा सकता है : दायीं आध्यात्मिक-संवेगात्मक-अन्तर्जात तरफ तथा बायीं तर्कसंगत, गणनात्मक एवं उपकरणीय तरफ । इसके आगे हम इसमें एक तीसरा, अन्तस्तालीय तत्त्व नवीनतम सैद्धान्तिक एवं शोध निष्कर्षों के आधार पर जोड़ सकते हैं। वे निष्कर्ष इस प्रकार हैं कि हिंसा तब जन्म लेती है जबकि मस्तिष्क की संवेगात्मक व्यवस्था (अवयव व्यवस्था) और उसकी संचार व्यवस्था (अनुमस्तिष्कीय) के बीच के विद्युतीय मार्ग चोटग्रस्त हो जाते हैं। दूसरी ओर अहिंसात्मक व्यवहार मौलिक अथवा पुनःसंस्थापित विद्युतीय आनन्द मार्गों से प्रसूत होता है, जो संवेगात्मक एवं संचार व्यवस्थाओं के बीच में स्थित हैं। यदि हम इससे आगे बढ़ते हैं तो यह विचार कि प्रभावी संस्थाकरण में तीनों तत्त्वों का समावेश हो जाना चाहिए, मानव व्यवहार के तीनों आयामों के महत्त्व पर विभिन्न सामाजिक विज्ञानों के कथनों द्वारा प्रबलीकृत हो जाता है । इन तीनों प्रकार के व्यवहारों को ये भिन्न-भिन्न नाम दिये जा सकते हैं : भावनात्मक, तकनीकी एवं शक्तिपरक, प्रभावोत्पादक, संज्ञानात्मक
और आदेशात्मक, स्पष्टवाचक, व्यावहारिक, संघर्षात्मक अनुभूतियां, प्रत्यक्ष बोध, पारितोषिक एवं दण्ड इत्यादि । ये ही ईश्वर एवं कैवल्य के मार्गों की प्राचीन आध्यात्मिक पहिचान की प्रतिध्वनियां मात्र हैं। कैवल्य से तात्पर्य है विश्वास, चिन्तन, क्रिया, मस्तिष्क, शब्द और शरीर, आत्मा, मार्ग और जीवन ।
__ इन तीनों तत्त्वों को अहिंसक आन्दोलनों में एकीकृत करने के प्रयासों के समकालीन व्यावहारिक उदाहरण प्रेक्षाध्यान, जीवन-विज्ञान और अणुव्रत में उपलब्ध हैं । ये अभ्यास आचार्य तुलसी और युवाचार्य महाप्रज्ञ के नेतृत्व में तेरापन्थ जैन आम्नाय द्वारा संचालित हैं। आध्यात्मिक विकास, विद्वत्ता और ग्राम सेवा संयुक्तरूप से तमिलनाडु में गांधी रूरल युनिवर्सिटी में, इसके संस्थापक डा० जी० रामचन्द्रन, जो स्वयं गांधी-टैगोर द्वारा अभिप्रेरित थे, के बीच में चलाये जाते हैं। इसी प्रकार अहिंसक "मानवीय क्रान्ति'' जापान में उन संस्थाओं द्वारा संचालित की जा रही है, जो एक दूसरे पर आश्रित हैं, तथा जो जापान के बौद्ध शान्ति नेता दैसाकु इकेडा द्वारा सोकागकाई संगठन (मूल्य निर्माण शिक्षण संस्था) के माध्यम से निशीरेन शोशु धर्म के प्रसार हेतु स्थापित एवं विकसित की गई थी। इनमें कला और संगीत संगठन सोका विश्वविद्यालय और दूसरी शोध एवं शिक्षण संस्थाएं, कई कार्याथी सामान्य संगठन, सोकागकाई इन्टरनेशनल, एक समाचारपत्र (सेक्यो शिम्भून) और एक स्वतंत्र राजनीतिक दल (कोमिटो) शामिल हैं।
इन मूलभूत अवधारणाओं और व्यावहारिक अनुभवों के आधार पर हम देख सकते हैं कि कोई भी स्थानीय, राष्ट्रीय या राष्ट्रपार संस्था जे अहिंसक सार्वभौम रूपान्तरण की पक्षपाती है, के पास तीन प्रकार के
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