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________________ ५४ अहिंसा : व्यक्ति और समाज आज गांव के लोग शहरों की ओर दौड़े आ रहे हैं। शहर की आबादी बहुत अधिक तेजी से बढ़ रही है और गांव खाली होते जा रहे हैं। गांधीजी पहला महत्त्व मनुष्य के श्रम को देते थे। वे अर्थ और सत्ता का केन्द्रीकरण होना ठीक नहीं समझते थे । केन्द्रीकरण का अर्थ है शहरों का विकास । एक बड़ी मिल की स्थापना का मतलब होता है हजारों मजदूरों का गांवों को छोड़कर शहर में आना । उस एक मिल के उत्पादन का मतलब है लाखों हाथों का बेकार हो जाना। अमरीका जैसे धनाढ्य देश में भी आज बेकारी की समस्या है । इसका एकमात्र कारण अर्थ का केन्द्रीकरण ही है। भारत सरकार ने स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद बड़े कल-कारखानों को अधिक प्रश्रय दिया। परिणामस्वरूप लघु-उद्योग स्वयं पिट गए । आज स्थिति यह है कि जहां पाकिस्तान चरखा-उद्योग से एक बहुत बड़ा लाभ कमा रहा है, वहां भारत घाटा उठा रहा है। ___ खादी का अवमूल्यन इसदृष्टि से अवश्य स्वीकार किया जा सकता है कि कुछ लोगों ने इससे अनुचित लाभ उठाने की कोशिश की है, किन्तु अहिंसा, सादगी और श्रम का वह आज भी सक्रिय प्रतीक है और देश की अनेक समस्याओं का समाधान भी इसमें दीखता है। केन्द्रीकरण का अर्थ है शक्ति का एक जगह में सिमट आना । जहां सबमें काम करने वाली शक्ति और सबके काम आने वाली शक्ति एक स्थान पर सिमट आती है, वहां एक के सिवा सबका शक्ति-शून्य होना स्वाभाविक है। वह शून्यता फिर एक नयी शक्ति को जन्म देती है जिसमें वर्तमान व्यवस्था से जूझने का सामर्थ्य होता है । हम औद्योगिक क्रांति को ही लें। इस क्रांति के बाद विश्व में बड़ेउद्योगों का विस्तार हुआ है, किन्तु हिंसा, तनाव और यांत्रिकता भी क्या इसी क्रांति की देन नहीं हैं ? बड़े-बड़े कल-कारखाने स्थापित हुए और वहां लाखोंलाखों मजदूर काम करने लगे। फिर उनकी यूनियनें बनीं और एक नयी शक्ति का उदय हुआ। उसके बाद थोड़े से आपसी असंतोष के साथ ही हड़ताल, घेराव, सत्याग्रह, लूटमार, तोड़-फोड़ आदि हिंसात्मक प्रवृत्तियों का जन्म हो गया। फिर उनको दबाने के लिए सत्ता ने अति नियंत्रण का सहारा लिया । आज स्थिति यह है कि उद्योगपति और मजदूर-ये दो ऐसे वर्ग बन गए हैं जिनके बीच निरन्तर संघर्ष अनिवार्य है। इस प्रकार केन्द्रीकरण, सामूहिक हिसा और अति-नियंत्रण-ये क्रमशः एक-दूसरे के अनिवार्य परिणाम हो गए हैं। विकेन्द्रीकरण से हिंसा और संघर्ष के अवसर नहीं के बराबर होते हैं । वहां एक का नुकसान दूसरे पर असर नहीं डाल सकता। एक मिल के बंद होने का मतलब है हजारों व्यक्तियों का बेकार होना। हजारों के बेकार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003066
Book TitleAhimsa Vyakti aur Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Religion
File Size10 MB
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