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अहिंसा : व्यक्ति और समाज
पिता की परम्परा का अनुगमन करने का प्रश्न आया। सुलस इनकार हो गया। पारिवारिक लोगों ने समझाया-जीवन में फिर कभी हिंसा मत करना किन्तु आज तो एक भैसे पर तलवार चलानी होगी। सुलस ने तलवार हाथ में ली और अपने पांव पर उसका प्रहार झेला । दर्शक स्तब्ध रह गए।
___ सुलस मानवीय करुणा की प्रतिमूर्ति था । अहिंसा में उसकी श्रद्धा थी, इसलिए वह प्राणिमात्र को आत्मीयता की दृष्टि से देखता था । आत्म-तुला की भावना का विकास होने से ही मनुष्य की अध्यात्म-चेतना जागृत हो सकती है। इसके लिए अणुव्रत को मानवीय प्राणी के प्रति प्रेम और आकर्षण पैदा करना होगा । इस पृष्ठभूमि का निर्माण होने से ही अणुव्रत का काम आगे बढ़ सकता है।
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