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________________ स्वस्थ समाज-रचना का संकल्प १५७ मिलता रहेगा। इस लिए हम किसको छूएं या किसको अनछुआ रखें, यह जानना बहुत आवश्यक है । आचार्य भिक्षु ने बहुत महत्त्वपूर्ण बात लिखी। उन्होंने कहा--एक व्यक्ति ने दो बीज बोए-एक आम का और दूसरा धतूरे का। दोनों पास पास में थे। उसने अपने लड़के को कहा कि पौधों को सींचना है । लड़का भोला था, ना-समझ था। वह धतूरे के बीज पर बहुत पानी डालता, उसकी रखवाली करता, खूब सार-संभाल करता और जो आम का पौधा था उसे न पूरा पानी देता, न रखवाली करता, पूरा ध्यान भी नहीं देता । परिणाम यह हुआ कि आम का पौधा मुरझा गया और धतूरे का पौधा चमक उठा। यह निर्णय हमें करना है कि क्या हम धतूरे के पौधे को ज्यादा पानी दे रहे हैं या आम के पौधे को ज्यादा पानी दे रहे हैं ? हम किसकी ज्यादा सार-संभाल कर रहे हैं । जिस पर अधिक ध्यान देगें, वह ज्यादा विकसित होगा और जिस पर कम ध्यान देगें, वह सिकुड़ जाएगा। प्रश्न है कि हमारा ध्यान आज कहां है ? ध्यान प्रेम के पौधे पर है या घृणा के पौधे पर है ? हम पानी कहां सींच रहे हैं ? हमारे लिए यह बहुत ज्वलन्त प्रश्न है। पानी तो सींच रहे हैं घृणा के पौधे पर और हम चाहते हैं कि अमन से रहें, शांति से रहें, कहीं आतंक न हो, कहीं हिंसा न हो, लूटखसोट न हो, अपराध न हो। हमारी कल्पना तो चलती है रामराज्य की ओर, कार्य चलता है रावणराज्य का । संगति कैसे हो ? इन विसंगतियों में जीते हुये हम मूल्यों का विकास नहीं कर सकते। यदि सचमुच हमारी आस्था है मूल्यों का विकास करना, सामाजिक मूल्यों को प्रतिष्ठित करना, तो हमें पानी वहीं सींचना होगा जिससे कि मूल्यों का विकास संभव बन सके । अन्यथा बात कुछ अटपटी-सी बन जाएगी। हमें अपनी कमजोरी का पूरा अनुभव नहीं होता। और कभी-कभी ऐसा होता है कि जब तक अपनी कमजोरी को आदमी साफ नहीं रखता है तब तक दूसरा उसे ठीक समझ ही नहीं पाता । जब कमजोरी सामने आती है तो दूसरा ठीक समझ लेता है। पर आदमी की प्रवृत्ति है कि वह अपनी कमजोरी को छुपाना चाहता है। एक दिन एक आदमी अपने मैनेजर के पास जाकर बोला 'यह जो महिला टाइपिस्ट मेरे साथ काम कर रही है, उसकी सेवा-निवृत्ति करना चाहता हूं।' मैनेजर ने पूछा- क्यों छोड़ना चाहते हों ?' उसने कहा-यह ठीक टाइप करना ही नहीं जानती, बार-बार अशुद्ध शब्द लिख देती है, बार-बार मुझे तंग करती है, पूछती रहती है कि इस शब्द का स्पेलिंग क्या होगा? उस शब्द का स्पेलिंग क्या होगा? मुझे बताने में कितना समय लगाना पड़ता है ?' मैनेजर ने कहा-'इतनी छोटी-सी बात के लिए उसको छोड़ना क्या ठीक होगा? पूछने में क्या आपत्ति है ? तुम्हें पूछती है तो तुम बता दिया करो।' उसने कहा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003066
Book TitleAhimsa Vyakti aur Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Religion
File Size10 MB
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