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अहिंसा : व्यक्ति और समाज मानना भी यथार्थ से आंख मूंदना है। क्योंकि जब तक लोगों की मानसिकता नहीं बदलेगी, गैरकानूनी तौर पर ऐसे हादसे होते रहेंगे। इक्कीसवीं सदी की ओर बढ़ते देश की यह पंगु मानसिकता क्या इसे पीछे घसीट कर अठारहवीं शताब्दी में नहीं ले जाएगी?
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