________________
अहिंसा के अछूते पहलु लेते हैं कि जो सुखद है, जो सुख देने वाला है, जिससे सुख होता है, वह नैतिक है तो अनेक उलझनें पैदा हो जाती हैं । उससे समाज की व्यवस्था गड़बड़ा जाती है। शराबी को शराब पीने में जैसी सुख की अनुभूति होती है वैसी और किसी बात में नहीं होती।
___ क्या हम मानलें कि शराब सुखद है, सुख देती है इसलिए शराब पीने का व्यवहार नैतिक है ? यदि इसे नैतिक व्यवहार मान लेते हैं तो फिर अनैतिक कर्म कोई बचेगा ही नहीं । एक नहीं है सुख की परिभाषा
सुख की परिभाषा एक नहीं है, अनेक हैं। यह भिन्न-भिन्न रुचियों और इच्छाओं पर आधारित है। इसे एक घेरे में बांधा नहीं जा सकता। हजार व्यक्तियों की सुखानुभूति के हजार प्रकार हो सकते हैं। किसी को क्रोध करने में सुख की अनुभूति होती है तो किसी को पत्नी को पीटने में सुख मिलता है। किसी को दूसरों को छेड़ने में आनन्द और सुख मिलता है तो किसी को गाली देने में, चेलेंज देने में सुख की अनुभूति होती है।।
खलील जिब्रान ने एक सुंदर कथा लिखी है। एक आदमी जा रहा था। उसने एक खेत में "हडप्पा" (घास की पुरुषाकृति) देखा। वह उसके पास गया, पूछा, अरे ! तुम रात-दिन यहां खड़े रहते हो, क्या थक नहीं जाते ? क्या परेशान नहीं होते ? हडप्पा बोला-'थकान का अनुभव ही नहीं होता, क्योंकि मुझे पशु-पक्षियों को डराने में बड़ा मजा आता है, सुख मिलता है। उस आदमी ने कहा-अरे ! दूसरों को डराने में मुझे भी आनंद आता है । हडप्पा बोला-लगता है, तुम भी मेरी तरह बनावटी आदमी हो।
सुख की अनुभूति के अनेक निमित्त हैं। किसी को डराने में, किसी को पीटने में, किसी को छेड़ने में, किसी को हंसने में, किसी को रोने में सुख का आस्वाद आता है । यदि इस सुख की अनुभूति के आधार पर नैतिक और अनैतिक व्यवहार की व्याख्या करें, उसे सार्वभौम कसौटी मान लें तो नैतिकता और अनैतिकता के विभाग की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। फिर जो भी करें, जैसा भी करें, जिससे सुख मिलता है वह नैतिकता है। बुरे-भले का विभाग मिट जाएगा। बुरा काम करने वाला भी कहेगा, तुम कौन होते हो मुझे इस काम से रोकने वाले, यह नैतिक काम है। मुझे इससे सुख मिलता है। फिर कोई काम बुरा नहीं होगा। सभी आदमी सुख की दुहाई देकर कुछ भी करते हुए नहीं हिचकिचायेंगे। इस सुख के आधार पर कोई कर्म बुरा नहीं रहा। दुःख : जागृति का सूत्र
दुःख से आदमी घबराता है । दु:ख कोई बुरी बात नहीं है। वह नई
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org