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भावात्मक स्वास्थ्य
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में बाट दिया—एक शारीरिक जीवन, एक मानसिक जीवन और एक आध्यात्मिक जीवन । शारीरिक जीवन से ज्यादा मूल्यवान है मानसिक जीवन और उससे ज्यादा मूल्यवान है भावनात्मक जीवन । यह भावनात्मक जीवन भावनात्मक स्वास्थ्य पर निर्भर है। उसका विकास कुछ दृष्टिकोणों, कुछ मान्यताओं को बदल कर ही किया जा सकता है ।
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