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१२. धर्म संघ शक्तिशाली बने
युवाचार्य पद के लिए आपको शतशः बधाई। हम सब सौभाग्यशाली हैं कि आप जैसे युवाचार्य हमें गुरुदेव द्वारा उपलब्ध हुए हैं। मर्यादा महोत्सव के दिन प्रवचन पण्डाल में गुरुदेव द्वारा प्रवचन में यह कहने पर कि 'मैं अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करूंगा' आपके मन में उस क्षण क्या प्रतिक्रिया हुई? घोषणा के पूर्व क्षण तक क्या आपको अहसास था कि मेरे नाम की घोषणा होगी? गुरुदेव ने जब यह घोषणा की, उस समय सब सुन रहे थे, मैं भी उनकी पंक्ति में शामिल था। मैं भी सुन रहा था और बड़े कुतूहल के साथ सुन रहा था। मुझे पता कैसे चले? गुरुदेव ने कभी मुझसे पूछा नहीं और न कभी मुझे बताया। कोई भी संकेत नहीं दिया, इंगित भी नहीं किया। अगर मुझसे बात करते, कोई परामर्श करते, मझे थोड़ा-सा संकेत देते तो मैं भी अपनी समस्याएं सामने प्रस्तुत करता. किन्तु मेरे सामने कोई प्रश्न ही नहीं आया, जिस प्रकार आप सब लोग सुनने वाले थे उसी पंक्ति में मैं था, उससे अतिरिक्त कुछ
नहीं।
आप जैसे चिंतनशील व्यक्ति के मन में बहुत से प्रश्न हो सकते है। उस समय क्या प्रतिक्रिया हुई? हम तो श्रोता हो सकते हैं, आप तो चिंतक और द्रष्टा हैं? चिंतनशील होना और द्रष्टा होना एक बात है और तात्कालिक बात पर एक प्रतिक्रिया करना दूसरी बात है। गुरुदेव ने इतना अवसर ही नहीं दिया कि मैं लंबे समय तक सोच सकू या प्रतिक्रिया कर सकूँ। घोषणा के कुछ क्षणों बाद मुझे उपस्थित ही कर दिया तो फिर सोचने का अवकाश ही कहां रहा? यह मैं मानता हूं कि गुरुदेव
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