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२. विसर्जन का महामस्तकाभिषेक करे
आज मर्यादा का महोत्सव है। आज तक ऐसा कहीं नहीं सुना कि दुनिया में कहीं मर्यादा का भी महोत्सव होता है। वन महोत्सव होता है, और भी अनेक प्रकार के महोत्सव होते हैं, किन्तु अनुशासन का महोत्सव अपने आप में एक विलक्षण बात है। आचार्य भिक्षु मर्यादा-पुरुष थे। उन्होंने कुछ मर्यादाएं बनाईं और संघ को एक नया स्वरूप प्रदान किया। जयाचार्य ने संघपुरुष को चिरायु बनाने के लिए मर्यादा-महोत्सव की स्थापना की। वह मर्यादा-महोत्सव अब एक शताब्दी को प्राप्त कर चुका है और दूसरी शताब्दी में चल रहा है। ___ आज दिल्ली महानगर के इस परिसर (अध्यात्म साधना केन्द्र) में मर्यादा-महोत्सव मनाया जा रहा है। तेरापंथ का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान, सबसे महत्त्वपूर्ण उत्सव, जो पूरे धर्मसंघ को प्राण देता है, आज हमारे सम्मुख है। अनुशासन का मूल आधार ___ मर्यादा चिरस्थायी कब हो सकती है? अनुशासन का मूल आधार आचार्य भिक्षु ने बतलाया आचार-निष्ठा। आत्मा, अध्यात्म और आचारइस बात को भुला दें तो न कोई अनुशासन होगा, न कोई मर्यादा होगी। इस प्रकार का शासन ऐसा होगा कि बाहर तो अनुशासन और भीतर छलना-प्रवंचना और ठगाई ही ठगाई। जब भी खाद्य और आपूर्ति संबंधी कोई नया कानून बनता है, खाद्य सामग्रियां विलुप्त होने लगती हैं। ऐसा इसलिए होता है कि यह आचार पर आधारित कानून नहीं है, केवल व्यवहार पर आधारित है। हमारी मर्यादा का यह प्रासाद आचार-निष्ठा की नींव पर खड़ा है। ऊपर कितनी ही मंजिल ले जाओ, कोई आंच
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