________________
१६० अतीत का वसंत : वर्तमान का सौरभ
और प्रशिक्षण का विशिष्ट अभिक्रम चले । अहिंसा के प्रशिक्षण की इस वार्ता ने विश्व-मानव को बहुत प्रभावित किया ।
गुरुदेव एकता के लिए सदा प्रयत्नशील रहे। आपने जैन- एकता के लिए पंचसूत्री कार्यक्रम का प्रतिपादन किया और उसके लिए अनेक प्रयत्न भी किए। एकता एक लक्ष्य है, संकल्प है । वह कोई आरोपण नहीं है । मेवाड़ की घटना है । एक छोटा-सा गांव । पहाड़ों से घिरा हुआ 1 वहां बैलगाड़ी का जाना भी मुश्किल होता है । चट्टानी पहाड़ियों को पार कर गुरुदेव वहां पहुंचे। दो भाईयों के बीच संघर्ष चल रहा था । गुरुदेव ने बड़े भाई से कहा- तुम इस संघर्ष को समाप्त कर दो। वह बोला - आचार्य श्री ! मैं आपका भक्त हूं। आप कहें तो मैं धूप में खड़ा सूख जाऊंगा पर उस संघर्ष को समाप्त नहीं करूंगा । आखिर हृदय - परिवर्तन हुआ और संघर्ष शांति में बदल गया ।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार समिति ने एकता के प्रयत्न का मूल्यांकन किया । अध्यात्म और नैतिकता के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों ने अनुभव किया कि इससे नैतिकता की और अधिक बल मिलेगा । *
* इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार सन् १६६२, आचार्य तुलसी को दिया गया। उस संदर्भ में प्रस्तुत निबंध |
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org