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________________ जयाचार्य : वर्तमान के सन्दर्भ में १३१ का बहुत सूक्ष्म विश्लेषण किया। आपके भक्तिकाव्य बहुत जनप्रिय हैं। आपकी एक प्रसिद्ध कृति है-चौबीसी। उसमें चौबीस तीर्थंकरों की स्तुति है। हजारों-हजारों लोग प्रातःकाल उसका पाठ करते हैं। जब उसका विभिन्न लयों में संगान होता है, तब पूरा वातावरण भक्तिमय बन जाता है। आचार्य भिक्षु जयाचार्य के इष्ट थे। उनके जीवन में जब कभी कोई कठिनाई आयी तब उन्होंने आचार्य भिक्षु की स्तुतियां रची। उनकी 'विघ्नहरण की ढाल' बहुत प्रसिद्ध है। शारीरिक, मानसिक, आधिदैविक और आधिभौतिक विघ्नों के उपस्थित होने पर उसका स्मरण आज भी बड़ी श्रद्धा के साथ किया जाता है। आचार्यवर मंत्रविद् थे। उनका इष्ट मंत्र था-'अ सि आ उ सा', 'अ भि रा शि को' और चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र की दूसरी गाथा। वे ज्योतिर्विद् थे। सूर्यप्रज्ञप्ति खगोल विषयक सूत्र है। उन्होंने उसकी व्याख्या लिखनी शुरू की। सौ वर्ष का पंचांग बनाना प्रारम्भ किया। किन्तु कुछ व्यक्तियों का परामर्श मानकर उन्होंने उस कार्य को स्थगित कर दिया। ___उन्होंने अनेक विधाओं में साहित्य लिखा। अनुशासन, मानसिक चिकित्सा, व्यवस्था, समतावाद, विनम्रता, मानव प्रकृति का विश्लेषण-ये उनके साहित्य के मुख्य प्रतिपाद्य रहे हैं। प्राकृतिक घटना और परिस्थिति पर भी उनकी लेखनी चलती रही। एक बार की घटना है, वे सुजानगढ़ में विराज रहे थे। नीचे रास्ते में दो कुत्ते आपस में लड़ रहे थे। दोनों आक्रमण की मुद्रा बनाए बहुत जोर-जोर से भौंक रहे थे। आसपास की शान्ति भंग हो रही थी। उस समय जयाचार्य का कविपुरुष बोल उठा नहीं ज्ञान अरु ध्यान, काम काज पिण को नहीं। ते कूकर सम जाण, फिरै चरै कलहो करै॥ एक दूसरा प्रसंग है। जयाचार्य पदयात्रा कर रहे थे। गर्मी का मौसम। राजस्थान की गर्मी। सूर्य का परम अनुग्रह। रेतीले टीले। सौर-ऊर्जा का उपयुक्त क्षेत्र। धरती ही नहीं, आदमी भी तप उठता है। चारों ओर धूप ही धूप। आवश्यकता हुई विश्राम की। छांह की खोज शुरू हुई। जहां दृष्टि जाए, वहां धूली ही धूली। धूली का एकछत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003064
Book TitleAtit ka Basant Vartaman ka Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages242
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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