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१८४ अतुला तुला __वे कुशलवक्ता, विद्वद् शिरोमणी और विकासशील तेरापंथ के अधिपति हैं। मैं मुनि नथमल उनके चरणों में सदा प्रसन्न रहता हूं। मैंने तेरापंथ के गुणवर्णन करनेवाले इस काव्य का निर्माण किया है।
(२००२ भाद्रव शुक्ला १३-श्रीडूंगरगढ़)
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