SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 81
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ न करे, विरमण करे। मन शरीर के ऊपरी भाग में रमण करे, विरमण न करे। __ भगवान महावीर ने कहा-'जे आसवा ते परिसवा। जे परिसवा ते आसवा।' जो आने के मार्ग हैं, वे ही जाने के मार्ग हैं और जो जाने के मार्ग हैं, वे ही आने के मार्ग हैं। आने और जाने के मार्ग दो नहीं होते। जो भीतर जाते हैं, वे बाहर आते हैं और जो बाहर आते हैं, वे भीतर जाते हैं। जिनका आस्रव होता है, उनका परिस्रव होता है। यह चक्र बराबर चलता रहता है। तेरापंथ धर्मसंघ के चौथे आचार्य श्रीमज्जयाचार्य ने राजस्थानी भाषा में एक पद्य में इस तथ्य को बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति दी है। वह पद्य है 'जिण कर्म ना उदयथकी, हणे कोई पर प्राण। तिण करम ने कहिए सही, प्राणातिपात पापठाण ।' -जिस कर्म के उदय से हिंसा कर्म के परमाणु विपाक में आए, अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के द्वारा वे बाहर आए, मस्तिष्क तक पहुंचे और व्यक्ति में हिंसा करने की भावना जगा गए, व्यक्ति में वह भावना प्रबल बनी और वह व्यवहार में हिंसा करने उतर गया। जब वह व्यवहार में हिंसा करने उतरा तो फिर कर्म का बंध हुआ, फिर वे काले परमाणु आए और भीतर चले गए। पूरा वर्तुल बन गया। इधर से प्रकट होकर उधर काम में आते हैं और फिर से उनका आक्रमण होता चला जाता है। इस वर्तुल से बाहर निकलना कठिन होता है। हिंसा आदि वृत्तियों से आकृष्ट होने वाले परमाणु रंगीन होते हैं। गणधर गौतम ने भगवान से पूछा-'भंते! प्राणातिपात, मृषावाद, अदत्तादान, मैथुन, परिग्रह आदि वृत्तियों के कितने रंग, कितने रस, कितने गंध और कितने स्पर्श होते हैं?' भगवान ने कहा-'प्राणातिपात आदि में दो वर्ण, दो गंध, पांच रस और चार स्पर्श होते हैं। क्रोध, मान, माया और लोभ-इन सब में भी ये होते हैं। ये सारी आदतें पौद्गलिक हैं। इनमें वर्ण होता है, गंध होता है, रस होता है और स्पर्श होता है। ये रंगीन परमाणु जो व्यक्तित्व का रूपान्तरण करता है (२) ७१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003062
Book TitleAbhamandal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy