________________
५. जो व्यक्तित्व का रूपान्तरण करता है (१)
१. . व्यक्ति बदलना चाहता है : व्यक्तित्व के तीन अंग-भाव शोधन, विचार नियन्त्रण,
व्यवहार नियन्त्रण २. • शोधन की महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया-लेश्या या भावकेन्द्र पर जागना। ३. • भावकेन्द्र अन्तः और बाह्य-दोनों से प्रभावित होता है।
बुरे के नियंत्रण से बाहरी तत्त्व लेश्या को प्रभावित नहीं करते तब भावकेन्द्र शक्तिशाली होकर भीतर से आने वाले बुरे स्रावों या विपाकों को निष्क्रिय बनाकर बाहर फेंकने में समर्थ होता है। अशुद्ध भाव
शुद्ध भाव * कृष्ण-अजितेन्द्रिय
पद्म-जितेन्द्रिय * कृष्ण-चपलता
तैजस्-स्थिरता * कृष्ण-मन की अशांति पद्म-मन की शांति * नील-रस लोलुपता पद्म-रस विजय * कापोत-वक्रता
तैजस्-सरलता
2R
.
हर समझदार व्यक्ति अपना रूपान्तरण चाहता है, व्यक्तित्व को बदलना चाहता है। जो जैसा है, वैसे में संतुष्ट नहीं होता, और अच्छा बनना चाहता है। व्यक्तित्व के रूपान्तरण की यह भावना प्रत्येक व्यक्ति में सतत बनी रहती है। परन्तु प्रश्न है कि व्यक्तित्व का रूपान्तरण कैसे हो और कहां हो? वह कौन-सा केन्द्र है जहां पहुंचकर व्यक्ति रूपान्तरित हो सकता है, अपने व्यक्तित्व को बदल सकता है। व्यक्तित्व का आवरण और व्यक्तित्व का रूपान्तरण-ये दो बातें हैं। व्यक्तित्व पर आवरण तो
५२ आभामंडल
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org