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६. आभामण्डल और शक्ति-जागरण (२)
१. • हम शक्ति का संवर्धन चाहते हैं। २. • शक्ति के दो स्रोत हैं-आत्मिक और तेजस्।
* तैजस् वर्गणा आकाश में व्याप्त ३. • संकल्प-शक्ति का प्रयोग
प्राण भरने का प्रयोग आतापना का प्रयोग
रंग-ध्यान। ४. • धर्म-लेश्या-तब शक्ति का प्रवाह इस दिशा में
'अपने को जानू', 'अपने को पाऊं' ५. • अधर्म-लेश्या-तब शक्ति का प्रवाह इस दिशा में
'दूसरे को वश में करूं', 'दूसरे को दबाऊ', 'दूसरे को ठगूं।' ६. . शक्तिशाली आभामंडल में बाहरी संक्रमण कम। ७. • ओरा के दो प्रकार-मानसिक ओरा (Mental Aura)
भावात्मक ओरा (Emotional Aura) ८. ओरिक कलर और मानसिक एवं आवेगात्मक ओरा का पारस्परिक
संबंध।
शक्ति-संपन्न व्यक्तित्व के निर्माण के लिए शक्ति का जागरण बहुत आवश्यक है। शक्ति-जागरण के बिना चेतना की ऊर्ध्वयात्रा भी नहीं हो सकती, आनन्द भी उपलब्ध नहीं हो सकता। इसलिए पहले शक्ति-जागरण जरूरी है, शक्ति का संवर्धन आवश्यक है।
दो शक्तियां काम कर रही हैं। एक है आत्मा की शक्ति और
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