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________________ सेक्स या काम है। वैज्ञानिकों ने एक शब्द का प्रयोग किया - लिबिडो (LIBIDO)। यह काम - शक्ति का बोधक है । जो काम शक्ति है उसका संबंध केवल सेक्स से ही नहीं है । 'लिबिडो' शब्द सेक्स का पर्यायवाची I नहीं है । फिर भी स्थूल या सांकेतिक रूप में मनोविज्ञान काम शब्द को सेक्स के द्वारा अभिव्यक्त करता है । जब तक काम का दिशान्तरण नहीं होता, जब तक राग को नयी दिशा नहीं दे देते तब तक अध्यात्म की यात्रा नहीं हो सकती। काम का दिशान्तरण या मार्गान्तरण बहुत जरूरी है । एक दिशा से जल आ रहा है । वह जिसे सिंचन दे रहा है, वह अवश्य पनपेगा। जब तक हम जल-प्रणालिका को नहीं बदल देते, तब तक नयी पौध पैदा नहीं होगी। यदि नयी पौध पैदा करनी है तो जल - प्रणालिका को मोड़ना होगा, उसकी दिशा बदलनी होगी। जो पहले से सींचा जा रहा है, उस मार्ग को बंद कर, नयी नहर निकालनी होगी, जिससे कि वह जल दूसरों का सिंचन कर सके । राग, आकर्षण या श्रद्धा - तीनों एकार्थक हैं । साधना का यही लक्ष्य है कि हमारी रागानुभूति, हमारा आकर्षण जिस विद्युत् के प्रति है, उससे मोड़कर नयी विद्युत् के प्रति आकर्षण पैदा करना । काम, राग- ये सब विद्युत् के साथ जुड़े हुए हैं। यह सब विद्युत् का ही चमत्कार है । राग क्या है? एक व्यक्ति की विद्युत् सामने वाले व्यक्ति की विद्युत् से संयुक्त होती है । दोनों का संयोग होता है और राग निर्मित हो जाता है। यदि 1 विद्युत् अनुकूल नहीं है तो राग निर्मित नहीं होगा । इसीलिए एक व्यक्ति के प्रति राग होता है, दूसरे के प्रति नहीं होता । हम बहुत बार सोचते हैं कि अत्यन्त कुरूप पुरुष के प्रति सुन्दर स्त्री का राग कैसे हुआ ? जिसकी विद्युत् शक्तिशाली होती है, वह दूसरों को आकृष्ट कर लेती है। इसमें रंग, रूप या संस्थान बाधक नहीं बनता । विद्युत् की अनुकूलता में ऐसा अनुराग उत्पन्न होगा कि दूसरे उसकी व्याख्या नहीं कर सकते । मुग्धता रंग के प्रति नहीं होती । मुग्धता संस्थान या आकृति के प्रति नहीं होती । मुग्धता होती है विद्युत् के प्रति । जब अनुकूलधर्मा विद्युत् मिलती है तो दो व्यक्ति आपस में बंध जाते हैं । विद्युत् विद्युत् को पकड़ती है, बांधती है। १७२ आभामंडल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003062
Book TitleAbhamandal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size11 MB
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