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________________ करें। ये दोनों बातें होंगी तो सामाजिक व्यक्ति का जीवन पूरा बनेगा अन्यथा खण्डित रहेगा, टूटा हुआ रहेगा। बाहर का जीवन अखण्ड-सा लगेगा, पर भीतर कुछ टूटा-टूटा-सा होगा। बाहरी संपदा पाकर भी लगेगा कि भीतर रिक्तता है, खालीपन है। अभी कुछ पाया नहीं है। मन को कभी चैन नहीं होगा, शान्ति नहीं होगी। यह दरिद्रता बनी की बनी रहेगी। इसीलिए इस अध्यात्म दीपावली को मनाने के लिए हम रंगों की उपासना करें, रंगों का ध्यान करें। व्यक्तित्व को बदलने के तीन साधन हैं१. प्रेक्षा-ध्यान, २. भावना का प्रयोग, ३. रंगों का ध्यान। दो साधनों की चर्चा हम कर चुके हैं। जो व्यक्ति प्रकाशमय रंगों का ध्यान करता है, वह अपने आंतरिक व्यक्तित्व का निर्माण कर लेता है। जो व्यक्ति अंधकार के रंगों का ध्यान करता है, वह अपने व्यक्तित्व को अंधकार से भर देता है, छिन्न-भिन्न कर देता है। - प्रकाश के दो-तीन रंगों की चर्चा मैं करना चाहता हूं। तेजो-लेश्या का बाल सूर्य जैसा लाल रंग है। लाल रंग निर्माण का रंग है। लाल रंग का तत्त्व है-अग्नि। हमारी सारी सक्रियता, शक्ति, तेजस्विता, दीप्ति, प्रवृत्ति-सबका स्रोत है, लाल रंग। लाल रंग हमारा स्वास्थ्य है। डॉक्टर सबसे पहले देखता है कि रक्त में श्वेत कण कितने हैं और लाल कण कितने हैं? लाल कण कम होते हैं तो वह अस्वास्थ्य का द्योतक है। लाल रंग प्रतिरोधात्मक शक्ति का प्रतीक है। वह बाहर से आने वाले को रोकता है, भीतर नहीं आने देता। लाल रंग में क्षमता है कि वह बाह्य जगत् से अन्तर्जगत् में ले जा सकता है। जब तक कृष्ण, नील और कापोत लेश्या काम करती है, तब तक व्यक्ति अन्तर्मुखी नहीं हो सकता, माध्यत्मिक नहीं हो सकता, अन्तर्जगत् की यात्रा नहीं कर सकता। वह आन्तरिक सुखों का अनुभव नहीं कर सकता। हम प्रेक्षा-ध्यान की प्रक्रिया में आन्तरिक सूक्ष्म स्पंदनों का अनुभव करना सिखाते हैं। मन जब सूक्ष्म होता है, तब वह सूक्ष्म कंपनों को पकड़ने में सक्षम हो जाता है। तीसरी बात है-रंगों का अनुभव करना। जब तेजस् शरीर के साथ हमारा संपर्क स्थापित होता है, तब रंग दीखने लग जाते हैं। जब हम १०८ आभामंडल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003062
Book TitleAbhamandal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size11 MB
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