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८ स्वभाव-परिवर्तन का दूसरा चरण
१. • स्वभाव-परिवर्तन के छह सूत्र
* कायोत्सर्ग * अनुप्रेक्षा * विवेक * ध्यान * शरण * भावना। अध्यात्म से रूपान्तरण । साधक कृष्ण, नील और कापोत लेश्याओं का अतिक्रमण कर तैजस्, पद्म और शुक्ल लेश्याओं में चला
जाता है। ३. • लौकिक और लोकोत्तर की भेदरेखा। ४. • रूपान्तरण का अंतिम चरण है-प्रतिपक्ष भावना का निर्माण।
___अध्यात्म ने मनुष्य को बदलने की एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया दी। उस प्रक्रिया के अनेक चरण हैं। उसका पहला चरण है-कायोत्सर्ग। कायोत्सर्ग है-शरीर का शिथिलीकरण। इससे पुरानी आदतों में परिवर्तन आता है, उसका शोधन होता है।
कायोत्सर्ग का संकल्प सूत्र है-'तस्स उत्तरीकरणेणं पायच्छित्तकरणेणं विसोहिकरणेणं विसल्लीकरणेणं पावाणं कम्माणं निग्घायणट्ठाए ठामि काउस्सग्गं।'
साधक संकल्प की भाषा में कहता है- 'जो आदत या स्वभाव प्रिय नहीं है, उसको उत्तर करने के लिए, उसका उदात्तरूप करने के लिए,
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