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________________ 3. अहिंसा और निःशस्त्रीकरण 3.1. महावीर की अहिंसा और निःशस्त्रीकरण शस्त्र-निर्माण की अन्धी दौड़ में आज सारा विश्व लगा हुआ है। पाकिस्तान जैसा विकासशील राष्ट भी चोरी छिपे आणविक कार्यक्रम को बढ़ा रहा है। सम्भवतः द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी पर अणुबम गिरने से हुए महाविनाश की प्रतिक्रिया-स्वरूप शस्त्र-परिसीमन का विचार उद्भूत हुआ। सन् 1946 ई. में इस विनाशलीला के तुरन्त बाद ही राष्ट्रसंघ ने अणुशक्ति-नियन्त्रण और भविष्य में आणविक परीक्षणों पर रोक लगाने के लिए आणविक आयोग का गठन किया, किन्तु इस आयोग की कोई उपादेयता सिद्ध नहीं हुई। क्योंकि अणुशक्ति-सम्पन्न राष्ट्र इसकी उपेक्षा कर अपनी शक्ति बढ़ाने में लगे रहे। सन् 1952 ई. में सुरक्षा परिषद् के अधीन निरस्त्रीकरण आयोग बना किन्तु इसी समय 'नाटो' और 'वारसा' संगठनों से सम्बन्धित देशों में शस्त्रों की होड़ शुरू हुई। इस समय परमाणु बम, हाइड्रोजन बम, नाइट्रोजन बम, नापाम बम तथा प्रेक्षापास्त्र निर्माण पर बल दिया गया। सन् 1963 ई. में रूस, अमेरिका ने आणविक परीक्षण आंशिक रूप से बन्द करने के लिए आंशिक परमाणु परीक्षण निषेध सन्धि पर हस्ताक्षर किये। सन् 1968 ई. में रूस और अमेरिका के बीच अणु प्रसार या नाभिकीयप्रसार-निषेध सन्धि सम्पन्न हुई जिस पर अब तक विश्व के काफी देश हस्ताक्षर कर चुके हैं। भारत ने अब तक इस पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं, क्योंकि इसके अन्तर्गत अणुसम्पन्न राष्ट्रों पर किसी प्रकार के प्रतिबन्ध की व्यवस्था नहीं है। इस दिशा में विशेष प्रगति रूस के राष्ट्रपति गोर्वाच्योव के आगमन से शुरू हुई। सन् 1985-86 में जेनेवा, रिक्जेविक तथा वाशिंगटन की तीन शिखर वार्ताएं रूस और अमेरिका के बीच हुई। गोर्वाच्योव की पेरेस्त्रोइका ग्लासनोस्त की नीतियां इस ओर महत्त्वपूर्ण कदम साबित हुईं। दोनों महा-शक्तियों का निरस्त्रीकरण की ओर विशेष रुझान विश्वशान्ति के लिए अभिनन्दनीय है। जितनी ही इन समझौतों के प्रति प्रतिबद्धता रहेगी, उतना ही विश्वशान्ति के लिए अहिंसात्मक साधनों का विकास होगा। दिल्ली घोषणापत्र भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश हैं। सोवियत संघ (रूस) विश्व में साम्यवाद का पुरस्कर्ता है। भारत अहिंसा के सिद्धान्त का पुरस्कर्ता है। साम्यवाद ने अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए हिंसा को साधन के रूप में मान्यता दी। किन्तु सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाच्योव ने 'स्टार-वार' की जगह 'स्टारपीस' कार्यक्रम शुरू करने की अपील की और साथ ही इस सदी के अन्त तक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003061
Book TitleAhimsa aur Anuvrat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlalmuni, Anand Prakash Tripathi
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages262
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size12 MB
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