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________________ 35 अहिंसा का व्यावहारिक स्वरूप पैर उठते नहीं, हाथ कांपने लग जाते हैं, दिमाग चकरा जाता है। सारा शरीर लड़खड़ा जाता है। शरीर इतना मजबूत था, क्या हुआ? शरीर तो अब भी वैसा ही है, कोई फर्क नहीं आया। शायद आधा किलो वजन भी नहीं घटा है। उतना ही शरीर, किन्तु भाव-तंत्र थोड़ा-सा गड़बड़ाया और शरीर लड़खड़ा गया। शरीर का संचालक है भावतंत्र और दूसरे नम्बर पर है भावतंत्र द्वारा संचालित मानसतंत्र । ये शरीर के संचालक हैं। लोग भी बड़े अजीब हैं कि जो मूल संचालक है उस ओर ध्यान कम देते हैं और जो सीधा दिखता है उस ओर ध्यान ज्यादा जाता है। जो पहले आता है उसकी ओर हमारा ध्यान ज्यादा जाता है और जो पीछे आता है उसकी ओर हमारा ध्यान नहीं जाता। यह बड़ी अजीब दुनिया है और अजीबोगरीब है हमारी मनोवृत्ति । इस मनोवृत्ति को बदलना भी बहुत जरूरी है। भावतंत्र शक्तिशाली बना रहे । भावतंत्र शक्तिशाली होता है तो आदमी के सारे कार्य ठीक हो जाते हैं। बात कल्पना से परे की . एक बड़ी मार्मिक घटना है, कल्पना से बाहर की बात है। एक बड़ा व्यापारी था। उसका इकलौता बेटा पढ़ने जा रहा था। तेज रफ्तार से कार आई, बच्चे को कुचल कर निकल गई। कोर्ट में केस चला। पिता का नम्बर आया गवाही के लिए। पिता बहुत संतुलित आदमी था। उसने चिन्तन किया। मेरा लड़का तो चला गया, वह तो वापस आने का नहीं। ड्राइवर को कड़ी सजा होगी, इसका परिवार आधारहीन हो जाएगा। मुझे जितना कष्ट हुआ है, इसके परिवार को भी उतना ही कष्ट होगा। एक संवेदनशीलता का धागा जुड़ा। उसने संवेदना के स्तर पर चिन्तन किया और सोचा कि हुआ सो हो गया। मुझे इसको बचा लेना है। न्यायाधीश ने पूछा, बताओ कैसे हुई दुर्घटना ? व्यापारी ने कहा, दुर्घटना हुई है। इसमें ड्राइवर का कोई दोष नहीं है। यह कार बिलकुल ठीक चला रहा था। लड़के की ही गलती थी। वह दौड़ कर कार के सामने आ गया और मर गया। बात समाप्त । ड्राइवर बिलकुल बच गया। ___क्या ऐसा होना संभव है ? क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि बाप का इकलौता बेटा ड्राइवर की गलती से कुचल गया और बाप ही यह साक्षी देता है कि ड्राइवर की कोई गलती नहीं थी। यह संभव नहीं है। संतुलित व्यक्ति ही केवल ऐसा कर सकता है। युद्ध पहले मस्तिष्क में यह संतुलन अंतःस्रावी ग्रन्थियों के स्राव-संतुलन से पैदा हो सकता है। उन पर हमारा नियंत्रण हो। उन्हें नियंत्रित करने में योगासनों का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। एड्रीनल ग्लैण्ड उत्तेजना के लिए काफी काम करती है। उस पर नियंत्रण हो तो काफी संतुलन हो जाता है। शशांकासन एक आसन है। इसका प्रयोग करने से एड्रीनल पर नियंत्रण पाया जा सकता है। वह नियंत्रण को काफी संतुलित बना देता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003061
Book TitleAhimsa aur Anuvrat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlalmuni, Anand Prakash Tripathi
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages262
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size12 MB
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