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________________ 222 अहिंसा और अणुव्रतः सिद्धान्त और प्रयोग जटिल है लोभ की वृत्ति __मुवक्किल वकील से बोला-मेरा केस बड़ा जटिल था और झूठा भी था पर आपने अपनी होशियारी से मुझे जिता दिया मैं किन शब्दों में आपकी प्रशंसा करूं? मुझे कोई शब्द नहीं मिल रहा है। वकील बोला- कोई शब्द ढूंढने की जरूरत नहीं है केवल एक शब्द जान लो- रुपया। आज हाथियों को मारा जा रहा है। हाथी-दांत बेचने पर भी सरकार द्वारा प्रतिबन्ध लगाया जा रहा है। चाम के लिए बाघों-चीतों को मारना शुरू कर दिया गया है। जिस प्राणी से भी पैसे मिलते हैं, उसे मारा जा रहा है किन्तु यह बात नई नहीं है। ___ हम आयारो का पढ़ें। किन-किन कारणों से जीव मारे जाते हैं, उनका विशद वर्णन आयारो में हे "कुछ व्यक्ति शरीर के लिए प्राणियों का वध करते हैं। "कुछ लोग चर्म, मांस, रक्त, हृदय, पित्त, चर्बी, पंख, पूंछ, केश, सांग, विषाण, हस्ति-दंत, दांत, दाढ़, लख, स्नायु, अस्थि और अस्थिमज्जा के लिए प्राणियों का वध करते हैं। "कुछ व्यक्ति प्रयोजनवश प्राणियों का वध करते हैं। "कुछ व्यक्ति बिना प्रयोजन प्राणियों का वध करते हैं। "कुछ व्यक्ति (इन्होंने मेरे स्वजन वर्ग की) हिंसा की थी, यह स्मृति कर प्राणियों का वध करते हैं। "कुछ व्यक्ति ये (मेरे स्वजन वर्ग की) हिंसा कर रहे हैं यह सोचकर प्राणियों का वध करते हैं। "कुछ व्यक्ति (ये मेरे या मेरे स्वजन वर्ग की) हिंसा करेंगे, इस संभावना से प्राणियों का वध करते हैं।" क्या करुणा जागेगी? प्रश्न है क्या मनुष्य की वृत्तियां बदलेंगी ? क्रूरता कम होगी ? क्या करुणा जागेगी? ऐसा लगता है, तब तक करुणा को जगाने का प्रयत्न सफल नहीं हो सकता जब तक लोभ को कम करने का प्रयत्न सफल न हो जाए। प्रेक्षाध्यान-शिविर के दौरान एक प्रश्न प्रस्तुत हुआ-क्रोध को कम करने के लिए ज्योति-केन्द्र पर ध्यान करवाया जाता है। भयवृत्ति को कम करने के लिए आनन्द केन्द्र पर ध्यान करवाया जाता है। लोभ की वृत्ति को मिटाने के लिए किस केन्द्र पर ध्यान करवाना चाहिए ? मैंने कहाइस विषय में मैं स्वयं उलझन में हूं। अन्य वृत्तियों को बदलने के सूत्र तो हाथ लग गए हैं, पर लोभ की वृत्ति को बदलने का सूत्र अभी पकड़ में नहीं आया है? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003061
Book TitleAhimsa aur Anuvrat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlalmuni, Anand Prakash Tripathi
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages262
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size12 MB
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