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अहिंसा और अणुव्रतः सिद्धान्त और प्रयोग सम्यग् दृष्टिकोण का विकास हो रहा है । करुणा का भाव पुष्ट हो रहा है इस शब्दावलि का नौ बार उच्चारण करें। फिर उसका मानसिक जप करें। 5 मिनट ___5. अनुचिंतन करें--
क्रोध, अहंकार और लोभ के आवेग मनुष्य को क्रूर बनाते हैं। क्रूर मनुष्य दूसरों को सताता है, ठगता है, अप्रिय व्यवहार करता है। कोई नहीं चाहता मेरे साथ अप्रिय व्यवहार हो तो फिर मुझे दूसरों के प्रति अप्रिय व्यवहार क्यों करना चाहिए? मुझे अच्छा जीवन जीने के लिए, सामुदायिक जीवन को शांतिमय बनाने के लिए, करुणा का विकास करना है। मैं संकल्प करता हूं कि मेरे करुणा का भाव पुष्ट होगा ।
10 मिनट 6. महाप्राण ध्वनि के साथ प्रयोग संपन्न करे। 2 मिनट
मनन और स्वाध्याय (अनुप्रेक्षा के अभ्यास के बाद स्वाध्याय और मनन आवश्यक है।) क्रूरता की समस्या : करुणा का समाधान
___ क्रूरता का सबसे बड़ा कारण है--लोभ, धनार्जन की अति आकांक्षा या संग्रह की वृत्ति। प्रश्न है कि क्या क्रूरता को मिटाया जा सकता है ? क्या इसका विसर्जन किया जा सकता है? क्या इसका कोई उपाय है ? हम समस्या को जानते हैं, हमें उसके निराकरण को भी जानना होगा। समस्या का अन्त तब तक नहीं होता, जब तक हम उसके निराकरण का सही उपाय नहीं जानेंगे। समस्या है तो उसके निराकरण का सही उपाय भी है। उपाय वही होता है जो मूल को छूता है। सहायक कारण अनेक हो सकते हैं, पर उनसे मूल समस्या का अन्त नहीं होता। समस्या का अन्त तभी होता है जब सही उपाय हस्तगत हो जाता है।
. रास्ते में प्यास से व्याकुल होने पर शिवाजी के गुरु रामदास ने प्यास मिटाने के लिए खेत से एक गन्ने का टुकड़ा तोड़ा। तोड़ते ही किसान ने रामदास को डण्डे से पीटा। गुरु को डण्डे से पीटे जाने पर शिवाजी का क्रुद्ध होना स्वाभाविक था। लेकिन रामदास ने रहस्य को समझाते हुए कहा--'तुम्हें बात समझ में नहीं आयी। कोई गूढ़ रहस्य नहीं है। देखो, यह किसान गरीब है। यदि यह गरीबी से ग्रस्त नहीं होता तो ऐसा व्यवहार कभी नहीं करता। इसने गरीबी के कारण ही ऐसा व्यवहार किया है। यदि इसकी अपराध वृत्ति को मिटाना है तो
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