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________________ आसन 1. शशांकासन, 2. अर्द्धमत्स्येन्द्रासन, 3. बद्ध पद्मासन, 4. योगमुद्रा, 5. पश्चिमोत्तानासन, 6. गोदुहासन, 7. सिंहासन, 8. उष्ट्रासन, 9. चक्रासन | 3. अनुप्रेक्षाएँ 193-241 - आचार्य तुलसी (गृहस्थ को भी अधिकार है धर्म करने का ) । - युवाचार्य महाप्रज्ञ ( अमूर्त चिंतन) मैत्री की अनुप्रेक्षा 193-197 प्रयोग विधि, स्वाध्याय और मनन - स्वयं सत्य खोजें; सबके साथ मैत्री करें; मैत्री का मनोवैज्ञानिक प्रभाव; सरस जीवन की प्रक्रिया - मृदुता; मैत्री की आराधना : शक्ति की आराधना; खमतखामणा का वास्तविक अर्थ; इकोलॉजी : अहिंसा जगत् का विकास। करुणा की अनुप्रेक्षा 197-202 प्रयोग - विधि; मनन और स्वाध्याय - क्रूरता की समस्या : करुणा का समाधान करुणा का अजस्र स्रोत । अभय की अनुप्रेक्षा 202-208 प्रयोग-विधि; मनन और स्वाध्याय- अप्रमाद और अभय; अभय की मुद्रा; अपराध को पकड़ने का वैज्ञानिक उपकरण; जागृति का मूल अभय; अभय की निष्पत्ति वीतरागता । सहिष्णुता की अनुप्रेक्षा 208-214 प्रयोग-विधि; स्वाध्याय और मनन - कष्ट सहिष्णुता; भगवान् महावीर की सहिष्णुता के सूत्र; परिवर्तन की प्रक्रिया - सहिष्णुता; मनोबल की शिक्षा - सहिष्णुता, सहिष्णुता का अभाव । संकल्प शक्ति की अनुप्रेक्षा प्रयोग-विधि; स्वाध्याय और मनन - संकल्प की शक्ति । (viii) Jain Education International For Private & Personal Use Only 214-219 www.jainelibrary.org
SR No.003061
Book TitleAhimsa aur Anuvrat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlalmuni, Anand Prakash Tripathi
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages262
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size12 MB
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