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________________ 7. व्रत साधना : सामाजिक मूल्य 6. अणुव्रत आंदोलन 122-124 - युवाचार्य महाप्रज्ञ (अणुव्रत - दर्शन, पृ. 39) 125-151 - युवाचार्य महाप्रज्ञ ( अणुव्रत दर्शन, पृ. 45 ) 125-132 1. अणुव्रत का आन्दोलन क्यों ? व्यवस्था सुधार या वृत्ति - सुधार । 2. अणुव्रत आन्दोलन के प्रवर्तक Jain Education International - युवाचार्य महाप्रज्ञ (अणुव्रत दर्शन, 3. अणुव्रती की पात्रता 133-135 - युवाचार्य महाप्रज्ञ ( अणुव्रत दर्शन, पृ. 56 ) व्यक्ति-निर्माण की दिशा, नैतिक श्रद्धा का जागरण, संख्या और व्यक्तित्व, संघटन या विघटन | 4. अणुव्रत आन्दोलन का प्रसार 132-133 पृ. 55 ) 135-139 पृ.60) - युवाचार्य महाप्रज्ञ ( अणुव्रत दर्शन, 5. अणुव्रत के संदर्भ में नैतिकता 139-143 - युवाचार्य महाप्रज्ञ (अणुव्रत दर्शन, पृ. 69 ) नैतिकता क्या है ?, क्या नैतिकता परिवर्तनशील है ?, अनैतिकता का मूल क्या है ?, नैतिक-विकास क्यों ?, नैतिक-विकास की भूमिका । 6. अध्यात्म और नैतिकता 143-150 - युवाचार्य महाप्रज्ञ (अणुव्रत दर्शन, पृ. 75 ) नैतिकता की समस्या : निष्ठा का अभाव, समस्या का मूल, निष्ठा : स्वरूप और आधार, निष्ठा की कमी : संदर्शन और निदर्शन, गतिशीलता की अपेक्षा, एकाग्रता का अभ्यास । 7. क्रांति का नया आयाम For Private & Personal Use Only 150-151 - युवाचार्य महाप्रज्ञ ( अणुव्रत दर्शन, पृ. 114 ) (vi) www.jainelibrary.org
SR No.003061
Book TitleAhimsa aur Anuvrat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlalmuni, Anand Prakash Tripathi
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages262
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size12 MB
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