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________________ 86 अहिंसा और अणुव्रतः सिद्धान्त और प्रयोग अपराध : बिना श्रम किए पाने की मनोवृत्ति अपराध का एक कारण है-लालच। मनुष्य में लालच है, बहुत पाने की इच्छा है। वह श्रम कम करना चाहता है, धन अधिक पाना चाहता है। इस मनोवृत्ति से अपराध को बढ़ावा मिलता है। अपराध यानी बिना श्रम किए पैसा पाने की मनोवृत्ति । दुकान में बैठकर कमाने में काफी श्रम करना पड़ता है। अनेक व्यक्ति मिलकर अपना गिरोह बना लेते हैं, डकैती करते हैं, डाका डालते हैं। जो धन दुकानदार को साल भर के सतत परिश्रम से मिलता है, उसे वे एक ही रात में पाने की कोशिश करते हैं या ऐसी गुप्त सूचनाएं एकत्र करते हैं और उसे विरोधी सरकार तक, संबद्ध व्यक्ति तक पहुंचा देते हैं ताकि लाखों-करोड़ों रुपए एक साथ मिल जाए। हेरोइन आदि मादक वस्तुओं का धंधा भी बिना श्रम किए पैसा पाने का एक उपाय है। बिना श्रम किए सीधा धन प्राप्त करने की इस मनोवृत्ति से अपराध को एक नया आयाम मिला है। आज मनुष्य की आवश्यकताएं निरंतर बढ़ती जा रही हैं। उनकी कोई सीमा रेखा नहीं है। यह अति आवश्यकता भी अपराध का एक कारण है। हिंसा क्यों? __आर्थिक जीवन का आठवां पहलू है- हिंसा । परिग्रह और हिंसा को अलग नहीं किया जा सकता। ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जैन आगमों में प्रश्नव्याकरण, आचारांग, सूत्रकृतांग आदि में इस पर बहुत विमर्श हुआ है कि आदमी हिंसा क्यों करता है ? इस संदर्भ में "वह पाने के लिए""वह पाने के लिए" इस शब्द का बार-बार प्रयोग हुआ है। आदमी हड्डियों के लिए हिंसा करता है, सींगों के लिए हिंसा करता है, दांतों के लिए हिंसा करता है। पहले मैं सोचता था कि हिंसा के लिए इतने नाम क्यों गिनाए गए, इतना विस्तार क्यों दिया गया? किन्तु आज जब हिंसा के कारणों की मीमांसा सामने आती है, तब यह विस्तार बहुत सार्थक लगता है। परिग्रह के लिए हिंसा आज गैंडा जाति समाप्त हो रही है। सींग के लिए गैंडों को मारा जा रहा है। गैंडों का सींग बहुत कीमती है। उसके बदले में अपार विदेशी मुद्रा मिल जाती है। गैंडे के मारे जाने पर प्रतिबंध है फिर भी उनकी हत्या के प्रयत्न निरंतर चल रहे हैं। आज कस्तूरीमृग दुर्लभ हो रहे हैं। कस्तूरी के लिए उन्हें मारा जा रहा है। हाथी दांतों के लिए मारे जा रहे हैं। बहुत सारे बाघ और चीते खाल के लिए मारे जा रहे हैं। यह व्यवसाय बहुत व्यापक बन गया है। आर्थिक पक्ष को सुदृढ़ बनाने के लिए ये सारे अपराध हो रहे हैं। परिग्रह हिंसा का मुख्य हेतु है। हिंसा परिग्रह के लिए है या 'हिंसाहिंसा के लिए है। यदि इस प्रश्न की समीक्षा की जाए तो "हिंसा हिंसा के लिए" इसे कम अंक मिलेंगे और "हिंसा परिग्रह के लिए" इसे अधिक अंक मिलेंगे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003061
Book TitleAhimsa aur Anuvrat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlalmuni, Anand Prakash Tripathi
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages262
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size12 MB
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