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पोग
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५. अन्यग्रामगमन- जहां अवस्थित हो, वहां से दूसरे गांव में
भिक्षार्थ जाना। ६. प्रत्यागमन- दूसरे गांव में जाकर वापस आना। आतापना-योग
आतापना का अर्थ है 'सूर्य का ताप सहना'। यह सूर्य की रश्मियों या गर्मी को शरीर में संचित कर गुप्त शक्तियों को जगाने की प्रक्रिया है, इसलिए यह योग है।
आतापना-योग तीन प्रकार का है-- १. उत्कृष्ट-- गर्म शिला आदि पर लेट कर ताप सहना । २. मध्यम- बैठ कर ताप सहना । ३. जघन्य- खड़े रह कर ताप सहना । उत्कृष्ट आतापना के तीन प्रकार हैं--- १. उत्कृष्ट-उत्कृष्ट-छाती के बल लेट कर ताप सहना । २. उत्कृष्ट-मध्यम- दाएं या बाएं पार्श्व से लेट कर ताप सहना । ३. उत्कृष्ट-जघन्य-पीठ के बल लेट कर ताप सहना । मध्यम आतापना के तीन प्रकार हैं१. मध्यम-उत्कृष्ट- पर्यङ्कासन में बैठ कर ताप सहना । २. मध्यम-मध्यम- अर्ध-पर्यङ्कासन में बैठ कर ताप सहना । ३. मध्यम-जघन्य- उकडू आसन में बैठ कर ताप सहना । जघन्य आतापना के तीन प्रकार हैं
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१. बृहत्कल्पभाष्य, गाथा ५९४५ :
आयावणा य तिविहा, उक्कोसा मज्झिमा जहण्णा य । उक्कोसा उ निवण्णा, निसण्ण मज्झाट्ठिय जहण्णा ॥ २. वही, गाथा ५६४६ :
तिविहा होइ निवण्णा, ओमत्थिय पास तइयमुत्ताणा । . उक्कोसुक्कोसा उक्कोसमज्झिमा उक्कोसगजहण्णा ।। ३. वही, गाथा ५६४७,४८ :
मज्झुक्कोसा दुहओ वि मज्झिमा मज्झिमा जहण्णा य । अहमुक्कोसाऽहममज्झिमा य अहमाहमाचरिमा । पलियंक अद्धक्कुडुग भो य तिविहा उ मज्झिमा होइ ।
तइया उ हत्थिसुंडेगपाद समपादिगा चेव ॥ ४. वही, गाथा ५९४७-४८ ।
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