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संस्कृति के दो प्रवाह बौद्ध हो गए।
कुछ विद्वान् ऐसा मानते हैं कि वे अन्त तक जैन ही थे। प्रो० कर्न के अनुसार "अहिंसा के विषय में अशोक के नियम बौद्ध सिद्धान्तों की अपेक्षा जैन सिद्धान्तों से अधिक मिलते हैं।"
__ अशोक के उत्तराधिकारी उनके पौत्र सम्प्रति थे। कुछ इतिहासज्ञ उनका उत्तराधिकारी उनके पुत्र कुणाल (सम्प्रति के पिता) को ही मानते
है .
जिनप्रभसूरि के अनुसार मौर्य-वंश की राज्यावलि का क्रम इस प्रकार (१) चन्द्रगुप्त।
(४) कुणाल। (२) बिन्दुसार।
(५) सम्प्रति । (३) अशोकश्री।
किन्तु कुछ जैन लेखकों के अनुसार कुणाल अन्धा हो गया था, इसलिए उसने अपने पुत्र सम्प्रति के लिए ही सम्राट अशोक से राज्य मांगा था।
सम्राट् सम्प्रति को 'परम आर्हत' कहा गया है। उन्होंने अनार्यदेशों में श्रमणों का विहार करवाया था। भगवान् महावीर के काल में विहार के लिए जो आर्य-क्षेत्र की सीमा थी, वह सम्प्रति के काल में बहत विस्तृत हो गई थी। साढे पच्चीस देशो को आर्य-क्षेत्र मानने की बात भी १. अर्ली फैथ ऑफ अशोक (थॉमस) पृ० ३१-३२, ३४ । 2. Indian Antiquery, Vol. V, page 205.
His (Ashoka's) ordinances concerning the sparing of animal life agree much more closely with the idieas of historical
Jainas than those of the Buddhists. ३. भारतीय इतिहास की रूपरेखा, जिल्द २, पृ० ६६६। ४. विविधतीर्थकल्प, पृ० ६६ ।
तत्रैव च चाणिक्यः सचिवो नन्दं समूलमुन्मूल्य मौर्यवंशं श्रीचन्द्रगुप्तं न्यवीशद्विशांपतित्वे । तद्वंशे तु बिन्दुसारोऽशोकश्री: कुणालस्तत्सूनुस्त्रिखण्डभारताधिपः
परमाहतोऽनार्यदेशेष्वपि प्रवर्तितश्रमणविहारः सम्प्रतिमहाराजश्चाभवत् ॥ ५. विशेषावश्यकभाष्य, पृ० २७६ । ६. विविधतीर्थकल्प, ६६ । ७. बृहत्कल्पभाष्य वृत्ति, भाग ३, पृ० ६०७ :
'ततः परं' बहिर्देशेषु अपि सम्प्रतिनृपतिकालादारभ्य यत्र ज्ञान-दर्शन-चारित्राणि 'उत्सर्पन्ति' स्फातिमासादयन्ति तत्र विहर्तव्यम् ।
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