________________
१३४
संस्कृति के दो प्रवाह
(6) स्थान १. कृष्ण
असंख्य २. नील३. कापोत४. तेजस्५. पद्म
६. शुक्ल(९) स्थिति श्वेताम्बर
दिगम्बर' लेश्या जघन्य
उत्कृष्ट
जघन्य उत्कृष्ट १. कृष्ण अन्तर्मुहूर्त ३३ सागर और एक अन्तर्मुहूर्त ३३ सागर
मुहूर्त २. नील " पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक दस सागर
३३ सागर ३. कापोत पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक तीन सागर
७ सागर ४. तेजस्
पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक दो सागर
२ सागर ५. पद्म
अन्तर्मुहूर्त अधिक दस सागर
१८ सागर ६. शुक्ल " अन्तर्मुहूर्त अधिक ३३ सागर
३३ सागर (१०) गति'
१. कष्ण३. नील२. कापोत४. तेजस्- सुगति ५. पद्म६. शुक्ल
दुर्गति
४. उत्तराध्ययन, ३४१५६-५७ ।
१. उत्तराध्ययन, ३४१३३ । २. वही, ३४१३४-३६ । ३. तत्त्वार्थ राजवातिक, पृ० २४१ :
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org