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में भाग लिया। बड़ा सुदर्शन युवक था। तीन दिन ध्यान करने के बाद उसने कहा - महाराज ! मैं तो बहुत नशा करता था, किन्तु आज पता नहीं क्या हुआ कि नशे से अरुचि पैदा हो गई और मैंने उसे छोड़ दिया। बाद में उसके मित्रों ने बताया - मादक चीजों का इतनी मात्रा में सेवन करने वाला युवक कैसे बदल गया, इसका हमें आश्चर्य होता है। कुछ समय बाद युवक के नाना आए। उन्होंने कहा - 'वह हमारे कुल का कलंक था, आपने उसका उद्धार कर दिया। हमारे कुल का कलंक मिट गया।' न हमें इसका पता था, न ही उससे कहा गया- नशा छोड़ो। कान पर सब शिविरार्थियों को ध्यान कराया, उसने भी किया और इतना बड़ा परिवर्तन उसमें आ गया।
सर्वोत्तम उपाय
चेतना को बदलने का महत्त्वपूर्ण प्रयोग है चैतन्य केन्द्र प्रेक्षा । चेतना को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाएं। जो चेतना हमारी नाभि के पास है, उसे ऊपर लाएं, आनन्द केन्द्र पर लाएं, विशुद्धि केन्द्र और अप्रमाद केन्द्र पर लाएं, दर्शनकेन्द्र और ज्ञानकेन्द्र पर ले जाएं। जैसे-जैसे चेतना का ऊर्ध्वारोहण होगा, चेतना ऊपर की ओर जाएगी, अपराध समाप्त होंगे और नशे की आदत भी समाप्त होगी। हम ऐसा मार्ग खोजें, जिससे हमारी चेतना पर आने वाले आवरण और मल अपने आप धुल जाएं और चेतना का ऊर्ध्वारोहण हो जाए। अपराध चेतना के परिष्कार का यही उपाय सर्वोत्तम है ।
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कहां से आती हैं अपराध चेतना ? : ५७
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