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________________ क्षण आते ही रहते हैं। इससे विरत होने के लिए हम मूल से चलें। आहार का प्रशिक्षण, स्वास्थ्य का प्रशिक्षण और फिर संवेगों के संतुलन का प्रशिक्षण, यहां से हमारी अहिंसा के प्रशिक्षण की यात्रा शुरू हो तो अहिंसक समाज रचना का स्वप्न साकार होगा। शान्ति की वर्तमान भाषा विश्व शान्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ बना । अब झटपट युद्ध नहीं होते। पहले चर्चा होती है, चिंतन होता है, इससे प्रायः आवेश शान्त हो जाता है। युद्ध आवेश में शुरू हाते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा उस आवेग पर छींटा डाल कर उफान को शान्त कर दिया जाता है। तुरत-फुरत युद्ध शुरू नहीं हो पाते। शान्ति की परिभाषा करते हुए युद्धशास्त्रियों ने कहा है-'शान्ति का मतलब है दो युद्धों के बीच होने वाली तैयारी।' युद्ध कम हो जाने का एक कारण यह है कि युद्धोपकरण महंगे हो गए और शक्ति संतुलन इतना बराबर का हो गया है कि हर किसी को दूसरे से खतरा दिखाई देता है। परमाणु युद्ध कभी भी हो सकता था यदि शक्ति संतुलन न होता। यदि अहिंसा-प्रशिक्षण का सूत्र व्यापक बनता तो शक्तिसंतुलन के नाम पर शस्त्रीकरण को बढ़ावा नहीं मिलता, शन्ति और सुरक्षा का दर्शन शस्त्रों में नहीं मिलता। हथियार उद्योग पर नियंत्रण हो अहिंसा प्रशिक्षण का एक महत्त्वपूर्ण अंग है हथियार उद्योग पर नियंत्रण। आज युद्ध शुरू कराने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है हथियार उद्योग । अमेरिका जैसे हथियार उद्योग के व्यापारी आज दुनिया के सम्राट बने हुए हैं। हथियारों का उत्पादन इतना हो गया है कि खपत की समस्या ज्वलंत बन रही है। इसके लिए कोई ऐसा क्षेत्र ढूंढा जाता है, जहां युद्ध शुरू कराया जा सके, फिर उस युद्ध में उन हथियारों की खपत हो। इस हथियार उद्योग को कैसे निष्प्रभावी बनाया जा सके, इस प्रश्न पर भी अहिंसा प्रशिक्षण के संदर्भ में विमर्श आवश्यक है। अहिंसा प्रशिक्षण : एक सार्वभौम आयाम : ४५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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