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________________ वैयक्तिक चेतना के सूत्र जब आधारभूमि मजबूत बन जाती है, नींव और खम्भे मजबूत बन जाते हैं तब प्रासाद को खड़ा किया जा सकता है। जब वैयक्तिक चेतना पवित्र वनती है, तब सामुदायिक चेतना के विकास की बात आती है। अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान और जीवन विज्ञान-ये प्रारंभ में वैयक्तिक चेतना के सूत्र हैं किन्तु बाद में सामुदायिक चेतना के सूत्र बन जाते हैं। ये तीनों सध जाएंगे तो संवेदनशीलता जागेगी, करुणा जागेगी और परस्परता का सूत्र मजबूत बन जायेगा। हमारा परस्पर का व्यवहार ऋजुतापूर्ण, मृदुतापूर्ण और विनम्रतापूर्ण बन जायेगा। जिनका व्यवहार बड़ा विनम्र होता है, उनमें सामुदायिक चेतना जागृत रहती है। सामुदायिक चेतना के जागरण के बिना न समाजवाद सफल हो सकता है, न साम्यवाद सफल हो सकता है। विनम्र व्यवहार का निदर्शन पश्चिमी विचारक ट्रिपलिंग बहुत सधे हुए व्यक्ति थे। समाचारपत्र में छपाट्रिपलिंग की मृत्यु हो गई। ट्रिपलिंग ने पढ़ा-मेरी मृत्यु का समाचार छपा है। संपादक को पत्र लिखा-'आप बड़े प्रामाणिक व्यक्ति हैं। आपका सामाचार पत्र बहुत प्रतिष्ठित है। पूरी छानबीन के बाद ही किसी समाचार को प्रकाशित करता है। आपको सही सूचना मिली है तभी आपने ट्रिपलिंग की मृत्यु का समाचार छापा है। अब कृपया अपनी ग्राहक सूची से मेरा नाम काट दें, क्योंकि अब मैं इस दुनिया में नहीं हूं।' पत्र पढ़कर संपादक को बड़ी ग्लानि हुई। पत्र लिखने वाला कितना विनम्र था। गालियां नहीं बकी, आक्रोश नहीं जताया, मुकद्दमा दायर करने की धमकी नहीं दी। विश्वमानव यह है वैयक्तिक चेतना की पवित्रता पर होने वाला विनम्र व्यवहार। जिस व्यक्ति में यह व्यवहार है, वह सामुदायिक चेतना को भी निश्चित रूप से प्रभावित करेगा। व्यवहार में ही विश्व है। एक में व्यवहार नहीं होता। जब नया मानव : नया विश्व : २२१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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