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________________ उसकी काट-छांट करना सीखो। अनेक व्यक्ति अपनी कोठियों में हरी दूब लगाते हैं। दूब बढ़ती है तो उसकी काट-छांट करते हैं, जिससे वह बराबर मुलायम गद्दे जैसी बिछ जाए और सुन्दर लगे। यह आश्चर्य का विषय हैहम बाहर के सौन्दर्य की ओर बहुत ध्यान देते हैं और अन्तः सौंदर्य की ओर हमारा ध्यान नहीं जाता। जो भी इच्छा पैदा होती है, उसे भोग लेते है, उसकी काट-छांट करना नहीं जानते। जो इच्छा पैदा हो, उस पर तीन कोणों से विचार करें • क्या इसे पूरा करना अनिवार्य है ? • क्या इसे पूरा करना आवश्यक है ? .क्या यह मात्र लालसा है ? पहली भूमिका है अनिवार्यता की; दूसरी भूमिका है आवश्यकता की और तीसरी भूमिका संयम की। प्रत्येक इच्छा का इन तीनों भूमिकाओं के संदर्भ में विश्लेषण करें। योजनाएं असफल क्यों होती हैं हमारी सारी योजनाएं असफल क्यों होती हैं ? असफल बनाने वाला एक कालचक्र है और वह है कामचक्र। इसका परिष्कार करें। विद्यार्थी के मस्तिष्क में संयम की चेतना को जागृत करें। अगर कामचक्र का संयम नहीं किया जा सकता तो कोई भी संन्यासी न बनता, त्यागी न बनता। सामाजिक जीवन में भी अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं कि अमुक व्यक्ति ने अपना सर्वस्व त्याग दिया। आज भी मिलते हैं, किन्तु कम मिलते हैं। इस भावना और प्रेरणा को व्यापक बनाने के लिए शिक्षा के साथ इसे जोड़ना जरूरी है। ऐसा नहीं सोचा जा सकता कि इससे सब व्यक्ति ठीक हो जाएंगे, सारा समाज ठीक हो जायेगा। सब की बात अभी न सोचें। किन्तु इतना अवश्य है कि शिक्षा के साथ यदि काम नियंत्रण की चेतना या अहिंसा की चेतना को जागृत करने की प्रविधियां जोड़ी जाएं तो पचास प्रतिशत से ज्यादा ठीक हो जायेगा, यह विश्वासपूर्वक कहा जा सकता है। मनुष्य इतना विचित्र है और तर्कशास्त्र की भाषा में कहें तो क्षयोपशम का तारतम्य, योग्यता का तारतम्य इतना विचित्र है कि सबको ठीक करना भगवान् के लिए भी संभव नहीं है। २०२ : नया मानव : नया विश्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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