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________________ आवश्यकता है काम को समझना; काम की समस्याओं का अध्ययन करना, काम के द्वारा होने वाली अभिवृत्तियों का अध्ययन करना, उसके दुष्परिणामों का अध्ययन करना और काम पर नियंत्रण करने वाली आध्यात्मिक विधियों का अध्ययन करना, प्रयोग करना। इस स्थिति में आर्थिक अपराध और भोग-उपभोग की जटिल समस्या का परिष्कार करने में बहुत सुविधा हो जायेगी। मूल समस्या है काम हमारे सामने सबसे पहली समस्या उपभोक्तावाद की है। पदार्थ कम और उपभोक्ता ज्यादा, यही संघर्ष है। यह स्थूल संघर्ष है। हमारी बुद्धि के सामने स्थूल संघर्ष ही आयेगा। हम उसी से जूझने का प्रयत्न करते हैं। एक समस्या है-पदार्थ की समस्या कैसे सुलझाएं। दूसरी समस्या है-आर्थिक समस्या को कैसे सुलाझाएं। इन दो पर आकर अटक जाते हैं। बुद्धि की सीमा इन दो तक ही है। इससे आगे हमें जाना होगा अनुभव और प्रज्ञा के माध्यम से। प्रज्ञा और अन्तर्दृष्टि से देखना होगा कि आर्थिक समस्या मूल नहीं है। उपभोक्ता की समस्या भी मूल नहीं है। मूल समस्या है कामना की। कारण क्या है ? अध्यात्म की प्रत्येक शाखा ने चाहे वह वैदिक और उपनिषद् की धारा हो, जैन और बौद्ध दर्शन की धारा हो, इस पर प्रकाश डाला। महावीर ने कहा-'इच्छा हु आगाससमा अणन्तया।' इच्छा आकाश के समान अनंत है। जब तक कामना का संयम नहीं करोगे, किसी भी समस्या का समाधान नहीं होगा। ____ अतृप्त वासना कथनी और करनी की दूरी पैदा करती है। आज का बड़ा प्रश्न है-कथनी और करनी की दूरी क्यों है ? इसका कारण न आर्थिक है, न सामाजिक है, बल्कि आत्मिक है। यह भीतर की समस्या है, काम की समस्या है। एक साम्यवादी शासनप्रणाली के मुखिया को बंदी बनाने के बाद उसके प्रासाद को देखा गया तो हीरे जड़े जूते मिले। इतनी मूल्यावान् वस्तुएं मिलीं, जिनकी कल्पना नहीं की जा सकती। राजप्रासाद की उस सारी सामग्री २०० : नया मानव : नया विश्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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