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तनावमुक्त रह सको और जहां भी समस्या आये, वहां दायें पटल से काम
लो ।
शिक्षा की समस्या
मस्तिष्क का दायां पटल चरित्र के लिए उत्तरदायी है, आत्मानुशासन के लिए उत्तरदायी है । इसका काम ही हमारे चरित्र के साथ जुड़ा हुआ है । लौकिक विद्या के लिए मस्तिष्क का बायां पटल उत्तरदायी है। आज की शिक्षा की समस्या है - केवल बायें पटल को जागृत करने का प्रयत्न हो रहा है । अब उसके साथ नया आयाम जुड़ना चाहिए - दायें पटल को भी जागृत करें। बायें को सुला दें, यह तो नहीं कहा जा सकता क्योंकि उसके बिना जीवन की यात्रा नहीं चलती । वह आवश्यक है किन्तु उसके साथ दायें मस्तिष्क पटल को भी सक्रिय करना जरूरी है । जीवन विज्ञान के मंच से हम यह अनेक बार कहते हैं - शिक्षा में जो चल रहा है, उसमें कुछ छोड़ना चाहिए और कुछ जोड़ना चाहिए । जोड़ना यह चाहिए - विद्यार्थी को तनावमुक्त कैसे रखा जा सके, कैसे उसके दायें मस्तिष्कीय पटल को जागृत किया जा सके ? कैसे नाड़ीतंत्रीय संतुलन पैदा किया जा सके ? कैसे अन्तःस्रावी ग्रंथियों के स्राव को संतुलित और नियोजित किया जा सके ?
शिक्षा के अनेक पहलू
शिक्षा में अनेक पहलुओं से विचार किया गया । जैसे- बुनियादी तालीम, उद्योग के साथ शिक्षा का सम्बन्ध जुड़ना चाहिए, व्यवसाय के साथ शिक्षा जुड़नी चाहिए आदि-आदि जीविकापरक अनेक पहलुओं से विचार किया गया। इन्हें व्यर्थ भी नहीं माना जा सकता, क्योंकि ये जीवन की आवश्यकताएं हैं । किन्तु जैविक दृष्टि से, बायोलाजिकल आस्पेक्ट से जितना विचार होना चाहिए था, उतना नहीं हुआ। जैविक रासायनिक परिवर्तन की दृष्टि से जितना विचार होना चाहिए, उतना नहीं हुआ है । थोड़ा-बहुत मनोवैज्ञानिक दृष्टि से हुआ है, किन्तु वह भी बहुत नगण्य और प्रायोगिक विधि के रूप में नहीं हुआ है । जीवन विज्ञान में इन सारी प्रायोगिक विधियों पर चिन्तन हुआ है, विचार-विमर्श हुआ है, प्रयोगों का निर्धारण हुआ है और यह प्रयत्न
१८२ : नया मानव : नया विश्व
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