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जीवन की समरसता के प्रयोग हैं, मूल्यपरक शिक्षा और योगशिक्षा के समन्वय का प्रयोग है। इन प्रयोगों की पृष्ठभूमि जानने के लिए अपेक्षित है, प्रस्तुत ग्रन्थ- नया मानव : नया विश्व का अध्ययन ।
पूज्य गुरुदेव की पावन सन्निधि में जो कुछ प्रस्फुट हुआ, वह एक नया उन्मेष बन सकेगा । प्रस्तुत ग्रंथ के संपादन में मुनि धनंजय कुमार ने निष्ठापूर्ण श्रम किया है।
अध्यात्म-साधना केन्द्र छतरपुर रोड मेहरोली नयी दिल्ली ११००३० १ अगस्त १६६४
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आचार्य महाप्रज्ञ
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