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नमस्कार महामंत्र : प्रयोग और सिद्धि हरे रंग के साथ और 'णमो लोए सव्वसाहूणं का नीले रंग के साथ । जैन ध्वज में पांचों रंग हैं। इसमें थोड़ा-सा एक भ्रम हो गया, शायद हमारी भूल के कारण ही हुआ। जब महावीर की पचीसवीं निर्वाण शताब्दी मनाई जा रही थी, उस समय चार सम्प्रदाय के हम चार मुनि बैठे और यह निर्णय लिया कि जैनों का एक ध्वज होना चाहिए। जैन-ध्वज के लिए हमने नमस्कार के महामंत्र के पांच पदों के आधार पर पांच रंग चुने । सफेद है-अर्हन्त का । लाल रंग है-सिद्ध का । पीला है-आचार्य का । हरा है-उपाध्याय का। मुनि का होना चाहिए था नीला, किन्तु यहां शब्द था श्याम । श्याम का अर्थ उस समय काला ही कर लिया, वास्तव में श्याम का अर्थ काला नहीं होता । कृष्ण को श्याम वर्ण कहा जाता है। वासुदेव कृष्ण का श्याम वर्ण है । पर श्याम का अर्थ काला नहीं है। श्याम का अर्थ नीला होता है। अरिष्टनेमि का वर्ण श्याम था, पर वह काला नहीं है। यह काले और श्याम के चिंतन में उस समय थोड़ा अन्तर रह गया और यह काला रंग आ गया । वास्तव में यह नीला होना चाहिए । यह ध्वज 'नमस्कार महामन्त्र' का प्रतीक है। पांचों रंग इसके साथ हैं। ये पांच रंग, पांच चैतन्य केन्द्र और नमस्कार महामंत्र के पांच पद-इनका परिणाम क्या होता है ? वैदिक लोग संध्या करते हैं। संध्या में विष्णु, शिव और ब्रह्म-तीनों की उपासना की जाती है । आज तो शायद वे लोग भी भूल गए मूल बात को । तीनों की तीन रंगों के साथ पूजा की जाती है। वे तीन रंग हैं-नील, पीत और काला या श्वेत । इन रंगों में पूजा की जाती थी संध्या के समय । क्योंकि हमारे स्वास्थ्य पर रंगों का बहुत अधिक प्रभाव होता है। कारण कि रंग हमारे रसायनों को बदलते हैं, शरीर की विद्युत् को बदलते हैं। ग्रन्थियों के जो स्राव होते हैं, वे स्राव ही वास्तव में हमारे जीवन को संचालित करते हैं। जिस व्यक्ति का थाइराइड ग्लैण्ड ठीक काम नहीं कर रहा है या ज्यादा काम कर रहा है, या तो वह नाटा हो जाएगा या फिर लंबा हो जाएगा। शरीर में मुख्य क्रिया होती है—चयापचय की । वह बिगड़ जाएगी, खराब हो जाएगी। जिसका एड्रीनल ग्लैण्ड ठीक काम नहीं करता, उसकी बहुत सारी क्रियाएं बिगड़ जाएंगी। ये स्राव संतुलित होती हैं-प्राणशक्ति के द्वारा । ये मंत्र उसको संतुलित करते हैं । थाइराइड को संतुलित करते हैं।
हरा रंग आध्यात्मिक रंग है और साथ-साथ में स्वास्थ्य के लिए बहुत अनुकूल होता है । यह शरीर में जमा होने वाले सारे विजातीय तत्त्वों को नष्ट
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