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व्यसन-मुक्ति
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का सशक्त माध्यम है । जब चेतना में मूर्छा होती है तब अपराध की मनोवृत्ति बढ़ती है। इस स्थिति में अपराधों को नहीं रोका जा सकता। मूर्छा हो और अपराध न हो, यह कभी संभव नहीं है। भारत में, अपेक्षाकृत आज भी कम अपराध है । अभी यह देश विकासशील है, विकसित नहीं । विकसित देशों में अपराध बहुत होते है। प्रश्न होता है, विकसित देशों में इतने अपराध क्यों ? आदमी में इतना पागलपन क्यों ? एक विद्यार्थी ने अपने दस साथी विद्यार्थियों को भून डाला, उन्हें गोली से मार डाला। पुलिस ने कारण पूछा। उसने कहा--मेरे मन में प्रसिद्ध होने की भावना जागी और मैंने यह कार्य कर डाला। पत्र-पत्रिकाओं में लाल सुखियों में मेरा नाम छपने का इससे अच्छा उपाय और क्या हो सकता था ? इस हत्याकांड के पीछे यही भावना काम कर रही थी। ___ बड़ी विचित्र मनःस्थिति होती है आदमी की । उसकी मनोवृत्ति ऐसी बन जाती है कि सारी विवेक-चेतना नष्ट हो जाती है, लुप्त हो जाती है। मूर्छा जैसे-जैसे बढ़ती है, अपराध की मनोवृत्ति भी वैसे-वैसे विकसित होती जाती है । क्या विकसित राष्ट्रों में बौद्धिकता की कमी है ? वे राष्ट्र बौद्धिक और वैज्ञानिक दृष्टि से सबसे आगे हैं। उनमें टेक्नोलॉजी का प्रचुर विकास है । आर्थिक दृष्टि से वे सम्पन्न हैं। भौतिक विकास की दृष्टि से वे चरम शिखर को चूम रहे हैं। उन देशों में अपराध बढ़ रहे हैं। आदमी का पागलपन बढ़ रहा है । इसका मूल कारण है----मूर्छा और मादक वस्तुओं का सेवन । ____ आज के विद्यार्थी भी मादक वस्तुओं के सेवन में किसी से पीछे नहीं हैं । विश्वविद्यालयों के परिसर इनसे मुक्त नहीं हैं । जब पाश्चात्य देशों के विद्यार्थी ऐसा करते हैं तब भारतीय विद्यार्थी को ऐसा करना ही होता है। ऐसा करने में वह गौरव का अनुभव करता है। ___हम इस सूत्र को विस्मृत न करें कि मूर्छा और अपराध दोनों परस्पर जुड़े हुए हैं । आचार्यों और समाजशास्त्रियों ने इस बात पर बहुत बल दिया है कि जीवन व्यसन-मुक्त होना चाहिए। आदमी को मदिरा से बचना चाहिए । मदिरा का पहला प्रभाव यह होता है कि आदमी की चेतना भ्रष्ट हो जाती है, चेतना विलुप्त हो जाती है । ____एक शराबी सड़क के किनारे खड़ा था। वह नशे में धुत था। पुलिस ने पूछा-यहां क्यों खड़े हो ? उसने कहा-मेरे सामने सारा नगर घूम रहा है । ज्योंही मेरा घर आएगा, मैं घर में घुस जाऊंगा । घर की प्रतीक्षा में खड़ा
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