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बाजारां मै बैठ, कूड कपट करता रहे। पल मै विकज्या पेठ, सो बरसां री श्रावका !!६४।। कैची देवे काट, सी देवै पल मै सुई। पढ़ो प्रेम रो पाठ, सुइ-डोरै स्यूं श्रावका !६५॥ सावधान सविधान, सोगन मै रहिज्यो सदा। मानवता रो मान, सदा राखज्यो श्रावकां !६६।।
छोड़ो होडा-होड, जीवन नै हलको करो। आ है नूंई मोड़, सावल सोचो श्रावका !।७।।
प्रायः मन मै कोड, आंणे-टांण पर हुवै। आ है नई मोड़, (थे) संजम सीखो श्रावका !!१८॥
आडम्बर द्यो छोड़, जलम मरण अरु ब्याव मै। आ है नूंई मोड़, सदा सादगी श्रावका !!६६॥
तांता द्यो थे तोड़, आर्त-रौद्र दो ध्यान स्यूं । सौ को एक निचोड़, सीधा चालो श्रावका !।१००॥
दोहा
दो हजार सतरह सुखद, द्वि-शताब्दी को दौर । संघ-चांद थे श्रावका !, 'चम्पक' बणो चकोर !।१०१॥
श्रावक-शतक ५७
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