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आं बडोड़ाऊं दूर
सागर ! मोटो र विचै, छोटां रो बे-हाल । ज्यूं गोधां रै झोड़ मै, बूंटा रो खोगाल ॥१॥
अपणी-अपणी दिन दशा, देख बणाणी बात । बड़ा-बड़ां री बात मै, सागर ! घाल न हाथ ॥२॥
सागर ! खींचाताण मै, हित नहिं आवै हाथ । पड्या पिसीजै बापड़ा, घुण मोठां रै साथ ॥३॥
सागर ! मीठे रै लिए, कदे न खांणी ऐंठ। झूठी पातल चाटणे, स्यूं न भरीज पेट ॥४॥
सागर ! सांगर केर स्यूं, पाली सूआ प्रीत। पड़ सोनै रै पिंजरै, जीण मै के जीत ॥५॥
३४ आसीस
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