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'गंगापूर स्यं गंगापुर तक, दिवस ग्यारह लाग्या,
पुर 'पहूंनो मिला, भाग अट्ठारह गांवा रा जाग्या।' आचार्यप्रवर ने प्रसन्नतापूर्वक फरमाया-चम्पालाल जी स्वामी ! आपका सुझाव ठीक रहा । थोड़े समय में बहुत सारे गांव फरसे गये।
आज चैत्र शुक्ला प्रतिपदा है। नया सम्वत् २०२० प्रारम्भ होते ही भाईजी महाराज ने गुरुदेव को नये वर्ष की शुभकामनाएं एक आगम वाक्य के साथ निवेदित की
'नाणेणं दसणेणं च, चरित्तेण तहेव य ।
खंतीए मुत्तीए, वडढ्माणो भवाहि य ॥' आर्य ! आपके लिए यह नया वर्ष ज्ञान से, दर्शन से, चरित्र से, क्षमा से, मुक्ति से प्रवर्धमान हो। ___ गंगापुर के लोगों ने कहा-भाईजी महाराज ने हमारे दिन कटवा दिए। मुनिश्री ने फरमाया-ऐसा नहीं, यों कहो
अमावसी पधरावणो, . एकम हुवै विहार ।
दोसम्वत् गंगापुरफरस्या, 'चम्पक' जय-जयकार ॥' भाई ! तुम्हें तो दो वर्ष मिले हैं २०१६ और २०२० । कम कहां है ? कम मत कहो, यों कहो-जय-जयकार कर दिया। दो वर्ष फरसे गए।
३०२ आसीस
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