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मजबूत है । गिरता तो अब तक गिर गया होता। यही तो हाल है, पुराने मकानों और पुराने आदमियों की नींवें मजबूत होती हैं। आज का नया मकान इतने में कब का गिर गया होता । न तो आज के मकानों की गहरी स्थिति है और न आज के जवानों की।
थोड़ी ही देर में वह चहका (तुफान) निकल गया। बारिश बन्द हुई। हम बड़ी कठिनता से बाहर निकले । देखा, चारों ओर वृक्षों के ढेर हो गए हैं। हमारे ऊपर जो बड़ की शाखा गिरी थी, वह कोई बाथ में भरे इतनी मोटी और कम-सेकम ४०-४५ फीट लंबी थी। छत पर चढ़कर जब देखा अभी वह कोठरी की छत पर अधर झूल रही थी।
श्री भाईजी महाराज ने फरमाया-आज का हमारा सही-सलामत रहना स्वामीजी का प्रताप है, आचार्यप्रवर की कृपा का फल है, संघ का प्रभाव है और बडेरों की पुण्याई है। भला, इतना बोझा गिरने के बाद भी मकान खड़ा रहे, बड़ा आजुबा और अनोखी बात है। पुरानी सभी चीजों की पुस्तें मजबूत होती हैंकहते-कहते मुनिश्री ने एक पद्य कहा
'पुस्त पुरांणा री पकी, मुचै न मिनख मकान। अस्थिर 'चम्पक' आजरा (ऐ) नुवां मकान जवान ।'
२४८ आसीस
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