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सतों ! जब कभी ऐसा अवसर आये, स्वामाजी का स्मरण करा । वह नाम अचिन्त्यमहामंत्र है ।
सुमिरन शक्ति अचिन्त्य है, परखो धर अनुराग । निकल्यो निबियै ईडवें (जद) पैरां पर स्यूं नाग ॥
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संस्मरण २३६
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