SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 205
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दोहा म्हे तो चिकमंगलोर में थे वीदासर ठीक । दूरी 'चम्पक' देह पर, अन्तर अति नजदीक ॥ १॥ पत्र संख्या ३० २०२५ प्रथम आषाढ़ वदी २ २ जून १९६६ मन में आवे उड मिलूं, पगां हुवै जो पांख । है ? क्यूं ? क्यूं नहि मिटै, झट ल्यूं 'चम्पक' झांक || २ || राजरूप जी री रही, रंग रजवाड़ी चाल । 'चम्पक' झूमर कुल कला, लाड ! लाडली - लाल ||३|| वदना - मां री बहुमुखी, ढली जु छव भायां री छवि मयी ( तूं ) लाड ! धीरज ढाल । लाडली - लाल ॥४॥ सिंह पुरुष 'चम्पक' चतुर, माहवत मोहनलाल । बीं भाई री बैन तूं, लाड ! लाडली - लाल ॥५॥ कोठारी करड़ै मतै, नीतिमान ननिहाल । बैद सुनहली कुल - बधू ( तूं ) लाड ! लाडली लाल ॥ ६ ॥ संयम लीन्हो सिंह ज्यू, ठेट निभायी टेक | 'चम्पक' चेतै राखज्ये, रण - रजपूती रेख ॥७॥ Jain Education International अधिकारी पद मैं अखी, सारी शासण - सेव । निरतिचार 'चम्पक' निमल, अलगो रख अहमेव ॥ ८ ॥ पद्यात्मक पत्र For Private & Personal Use Only १७५ www.jainelibrary.org
SR No.003057
Book TitleAasis
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1988
Total Pages372
LanguageMaravadi, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy