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________________ स्वस्थ अगर रहणो हुवै, 'चम्पक' कहणो मान । हित-मित पथ्याहार रो, सन्तां राखो ध्यान ॥ १ ॥ टाली - टाली मत करो, सब रस मांगे देह | सन्तां ! उदर उणोदरी, राखो निःसन्देह || २ || 'चम्पक' नियमित घूमणो, आसण प्राणायाम । एक हवा सौ दवा रो, सन्तां ! करसी काम || ३ || रोग, बैर विष बेल है, कहणं मैं के लाज ? घासै - गोली रो करो, सन्तां ! प्रथम इलाज ॥४॥ अजीरण हु तो अगर अजीरण रो बहम, पीओ निरणो पाणी । उत्तम औषध अपच रो, संतां ! ऋषि-जन बाणी ॥ ५ ॥ लै घासो घस सूंठ मै, काली नमक डली । 'चम्पा' ! सट कर नहीं तर, खटकै अली सली ॥६॥ जीव दोरो हुवै तो जीव दोरो होवै जरां, दोय लूंग ले चाव । 'चम्पक' अन्तर आग आ रूई मै मत दाब ||७|| इमरत-धारा अधिकतर, सुलभ मिलै सब ठोड़ 1 च्यार बूंद ले क्यूं करै, 'चम्पा' ! भाजा-दोड़ ॥८॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only घासो- गोली १.४.५ www.jainelibrary.org
SR No.003057
Book TitleAasis
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1988
Total Pages372
LanguageMaravadi, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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