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________________ 'आसीस' री सगली कवितावां एक सारीखी कोनी। केई कवितावां मैं भावां री रमझोल है तो केयां मै दवायां रा नुस्खा भी बताया गया है। केई कवितावां मै घटनावां री साख भरी जी है तो केयां मै साधांर श्रावकां रा गुण गाईज्या है। कवी आपरै जीवण री घटनावां रो लेखो-जोखो भी आं कवितावां रै जरिये पेश कर्यो है । केई कवितावां रो स्तर घणो ऊंचो है तो केई मामूली दरजै री भी है। न्यारी-न्यारी बानगी री न्यारी-न्यारी कवितावां है। आं नै बांच'र आ लागे के आपां भाईजी महाराज रै चरणां मै बैठ'र बां री वाणी री परसादी पा रैया हां। ई पोथी रै अंत मै जो 'संस्मरण पदावली' है, बी में आयोडा सारा संस्मरण हिन्दी भाषा में लारै दीयोडा है। बैं सारा भाईजी महाराज रै जीवण स्यूं जुडियोडा है । बांन पढतां-पढ़तां सारी घटरावां साख्यात रजरां रे सामने नाचणन लाग ज्यावै। आ है यां री विशेषता। 'श्रमण-सागर' पर भाईजी महाराज री घणी मरजी ही। बै आपरै मन री बात आन्नै कैबता । बै 'आसीस' रै रूप मै भाईजी महाराज री वाणी रो संग्रै कर बी ठाई थरपणा करणे रो जस लियो है । मै बां रो उपकार मानूं के बै मन्न भी बी पुण्य-पुरुष री याद मै दो सबद लिखणे रो मौको दियो। -डॉ० मूलचन्द सेठिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003057
Book TitleAasis
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1988
Total Pages372
LanguageMaravadi, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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