SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 166
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ निजर निर्मली निरखणो, किरतब खुली किताब । 'चंपक' रोब-रबाब रख, खो मत खोह गुलाल ॥३४॥ ऊठ सवारी ओज को, दिन मै देखै ख्वाब । 'चम्पक' पड़ पर-पेज मै, गलती करै गुलाब ॥३५॥ आज बलै क्यूं कालजो, जचै न जुगतो जाब । सागर ! बहम पड़े मनै, गुमशुम कियां गुलाब ।।३६।। गिरतोड नै थाम'र, चंपा ! चेप टूटतोडै नै। फूंक दूखतै फो. रै दै, सींच सूखतोडै नै ॥३७।। सज्जन कम संसार मै, दुर्जन घणा दिमाग । हंसू चादर पर हतक, लाग न ज्यावै दाग ॥३८॥ थारी म्हारी उतरती, कर दै प्रीत तुडाय । उडज्या कुबधी काकलो, राजहंस फसज्याय ।।३।। कण नै तूं मण मानलै, साहस राख संभाल । हंसू काढ़े हिम्मती, पाणी फोड़ पताल ।।।४०॥ कच्चै पक्कै आपरै, घर री हुवै न होड । ओरां री महलायतां, फिरणूं हंसू जोड ।।४।। वीसा बरसा रो बण्यो, बड़लो जावै टूट । अंकूरै री आश कद, 'चंपक' रहे अखूट ॥४२।। हाकम देतां हकम तूं जरां भांपलै भाव । 'चंपक' बोही चिमकसी, जिणरै गहरो घाव ॥४३॥ 'चंपक' चिन्तन चिंतकां, करो समय समझाय । नुआं मकान बणे नहीं, जूनां ढहता जाय ।।४४।। सहण री सगती हुवै, तो कर हंसी मजाक । चंपक' जो सुण नहिं सकै, तो जबान बस राख ।।४५।। १३६ आसीस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003057
Book TitleAasis
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1988
Total Pages372
LanguageMaravadi, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy