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मरण जीण रो मामलो, है होणी रे हाथ । 'चम्पक' कोइ पेली पछ, सगला निभै न साथ ॥१०॥
धर्म-ध्यान में मदद दे, साचो बोही सैण । 'चम्पक' बाधक बणणियां, दुश्मण गोता देण ॥१०६।।
अन्तर-मुख अभ्यास रो, मुश्किल है मंडाण। 'चम्पक' चेतन री चटक (तूं) जोग्यांस्यूं ही जाण ॥१०७।।
कवियां मैं बैठू उर्ले, मुड़ती देखू मोड़। कोड-कोड मै होड मै, 'चम्पक' दोड़ी-दोड़ ॥१०॥
बत्तीस सी०स्कीम मै, शरद च्यानणी रात। चम्पक ! शिक्षा-सुमरणी, सुमर सुमेरु साथ ॥१०६।।
१३० आसीस
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